Last Updated: Friday, December 14, 2012, 15:07
लखनऊ : संसद में पेश किए गए प्रोन्नति में आरक्षण सम्बंधी विधेयक को लेकर उत्तर प्रदेश में सरकारी कर्मचारी दो गुटों में बंट गए हैं। आरक्षण का विरोध कर रहे करीब 18 लाख सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल जहां शुक्रवार को भी जारी है, वहीं विधेयक का समर्थन कर रहे गुट का दावा है कि कर्मचारियों की हड़ताल से कामकाज प्रभावित नहीं होगा।
आरक्षण के विरोध में शुक्रवार को सूबे में सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के बैनर तले एकजुट होकर कर्मचारियों ने प्रत्येक जिले में धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया। आपातकालीन सेवाओं को हालांकि इस हड़ताल से अलग रखा गया है।
विधेयक के विरोध में सरकारी कर्मचारी शुक्रवार सुबह से ही प्रदर्शन कर रहे हैं। सूबे के गोरखपुर, लखनऊ, वाराणसी, इलाहाबाद आदि शहरों में कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस विधेयक को वापस नहीं लिया तो आगे इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा तथा आपातकालीन सेवाओं को भी प्रदर्शन के दायरे में लाया जाएगा।
सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दूबे ने कहा कि सरकार ने यदि समय रहते इस विधेयक को वापस नहीं लिया तो आगामी लोकसभा चुनाव में उसे गम्भीर परिणाम भुगतने होंगे। यह विधेयक पूरी तरह असंवैधानिक है, इसलिए इस पर चर्चा ही नहीं होनी चाहिए।
विरोध कर रहे कर्मचारियों की यह मांग है कि पदोन्नति में आरक्षण सम्बंधी विधेयक को वापस लिया जाए। जब तक इसे वापस नहीं लिया जाएगा, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। इस बीच पदोन्नति में आरक्षण का समर्थन कर रही आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति से जुड़े कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने चार घंटे अधिक ड्यूटी करने का ऐलान किया है। (एजेंसी)
First Published: Friday, December 14, 2012, 15:07