`फंसे लोगों को ज्‍यादा पैदल चलने को बाध्य न करें`

`फंसे लोगों को ज्‍यादा पैदल चलने को बाध्य न करें`

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उत्तराखंड सरकार से कहा कि जहां तक व्यवहारिक हो वह बाढ़ में फंसे लोगों को लंबी दूरी पैदल तय करने के लिए बाध्य नहीं करे और उन्हें विमान से सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाए।

न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति रंजन गोगोइ की खंडपीठ ने कहा कि जहां तक व्यावहारिक हो, राज्य सरकार को लंबी दूरी तय करने के लिए लोगों को बाध्य नहीं करना चाहिए। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत को आश्वासन दिया कि बचाव अभियान कल तक खत्म हो जाएगा। अभी 1000 तीर्थयात्री बद्रीनाथ में सुरक्षित स्थिति में हैं और वहां पानी और खाद्य सामग्रियों की कोई कमी नहीं है।

खंडपीठ ने राज्य सरकार की रिपोर्ट देखने के बाद मामले की सुनवाई की अगली तारीख तीन जुलाई मुकर्रर की। अदालत वकील अजय बंसल की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। जनहित याचिका में शीर्ष अदालत से आग्रह किया गया है कि वह केन्द्र और राज्य सरकार को उत्तराखंड के बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को बचाने का निर्देश जारी करे।

इससे पहले, 20 जून को उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र सरकार और उत्तराखंड सरकार को निर्देश जारी किया था कि वे वहां फंसे हजारों लोगों को निकालने और सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास करे और उन्हें भोजन एवं पेयजल मुहैया कराए। उच्चतम न्यायालय ने सरकारों को उत्तराखंड में बाढ़ प्रभावित लोगों को बचाने के लिए पर्याप्त संख्या में हेलीकाप्टरों की तैनाती के भी निर्देश दिए थे।

खंडपीठ ने केन्द्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकार (एनडीएमए) को राज्य सरकार को तमाम जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया था और उनसे कहा था कि वे कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करें। (एजेंसी)

First Published: Friday, June 28, 2013, 19:48

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