Last Updated: Friday, December 23, 2011, 15:49
नई दिल्ली : फेसबुक, गूगल और यू-ट्यूब समेत 21 सोशल नेटवर्किंग साइटों को उस समय एक और झटका लगा जब दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने वेबसाइटों पर कथित तौर पर आपत्तिजनक सामग्री प्रदर्शित करने के मामले में सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने को कहा है।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सुदेश कुमार ने एक निजी आपराधिक शिकायत पर संज्ञान लेते हुए केंद्र से इस विषय में तत्काल उपयुक्त कदम उठाने और 13 जनवरी तक अदालत में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
अदालत का यह आदेश उस समय आया है जब तीन दिन पहले ही एक अन्य अदालत ने फेसबुक, गूगल और यू-ट्यूब को ‘धर्म विरोध’ या ‘असामाजिक’ सामग्रियों को वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के लिए मना किया था जो घृणा और साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाते हों।
ताजा मामले में अदालत ने कहा, ‘दस्तावेजों को देखने से ऐसा लगता है कि प्रथम दृष्ट्या आरोपी आपस में मिलकर या अज्ञात लोगों के साथ ऐसी अभद्र समग्रियों को बेच रहे थे या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित कर रहे थे। ऐसा लगता है कि यह इसे देखने, पढ़ने और सुनने वाले लोगों को विकृत बनाने के लिए किया गया। अदालत ने कहा, ‘यह भी स्पष्ट होता है कि ऐसी सामग्री लगातार खुले तौर पर बिना किसी बाधा के सभी के लिए उपलब्ध है और इसका हर उम्र के लोग इस्तेमाल कर रहे हैं, यहां तक की 18 वर्ष से कम के लोग भी। ऐसी अभद्र सामग्री बिना सेंसर के उपलब्ध है।’
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोपी कंपनियों को कथित अपराध के लिए सुनवाई के दौरान उपस्थित होने को कहा। इस कथित आपराध के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 293 (अभद्र पुस्तक इत्यादि की बिक्री), धारा 293 (युवाओं को अश्लील सामग्री की बिक्री) और धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) का मामला चल रहा है।
मजिस्ट्रेट ने कहा कि पत्रकार विनय राय की शिकायत के साथ पेश वेबसाइट सामग्री में अभद्र चित्र और पैगम्बर मोहम्मद, ईसा मसीह और विभिन्न हिन्दू देवी देवताओं से जुड़ी अपमानजनक सामग्री पेश की गई थी।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, December 24, 2011, 09:49