Last Updated: Tuesday, November 22, 2011, 17:34
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व भाजपा अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण के खिलाफ एक फर्जी रक्षा सौदे में कथित तौर पर अज्ञात लोगों से एक लाख रुपए लेकर उन्हें फायदा पहुंचाने के मामले में चल रही आपराधिक कार्यवाही निरस्त करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। इस मामले में उनके निजी सचिव टी सत्यमूर्ति ही सरकारी गवाह बन गए हैं।
न्यायमूर्ति एके गांगुली की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में चल रही निचली अदालत की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। बंगारू लक्ष्मण ने यह कहते हुए निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी कि उन्हें फंसाने के लिए सीबीआई ने विशेष अदालत में याचिका दायर की और उनके पूर्व निजी सचिव टी सत्यमूर्ति को उनके खिलाफ गवाही देने के लिए माफी दिला दी।
अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह मामले के गुण दोष पर कोई विचार नहीं कर रहा है और इस बारे में फैसला सुनवाई अदालत ही करेगी। मामले के सह अभियुक्त के सरकारी गवाह बनने पर राजी होने के बाद निचली अदालत ने उन्हें माफी दे दी है। लक्ष्मण ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस मामले की कार्यवाही निरस्त करने से इंकार करने के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी।
गौरतलब है कि यह मामला वर्ष 2001 में तहलका न्यूज पोर्टल की ओर से किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन से जुड़ा है जिसमें लक्ष्मण को हथियारों के सौदागरों के तौर पर उनसे मिले पत्रकारों से रक्षा मंत्रालय की ओर से की जाने वाली सेना के हथियारों की खरीद में उनके हथियारों की सिफारिश करने के लिए धन लेते हुए दिखाया गया।
इस पोर्टल ने 13 मई 2001 को स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया था।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 22, 2011, 23:04