बंधुआ मजदूरी के खिलाफ ‘व्यापक’ अभियान

बंधुआ मजदूरी के खिलाफ ‘व्यापक’ अभियान

नई दिल्ली : देश में बंधुआ मजदूरी विरोधी कानून में संशोधनों की मांग करने और जागरूकता फैलाने के मकसद से कुछ अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय संगठनों ने व्यापक स्तर पर अभियान की शुरुआत की है। ‘इंटरनेशनल जस्टिस मिशन’ (आईजेएम), ‘जस्टिस वेंचर्स इंटरनेशनल’ (जेवीआई), ‘एक्शनएड’ और ‘जीविका’ जैसे संगठनों ने मिलकर बंधुआ मजदूरी के खिलाफ अभियान शुरू किया है। यह अभियान अगले तीन वर्षों तक चलेगा और इसे भारत के सभी हिस्सों में ले जाने का लक्ष्य रखा गया है।

इस अभियान के तहत बंधुआ मजदूरी उन्मूलन कानून (1976) के दायरे को विस्तृत कर इसमें पारंपरिक बंधुआ मजदूरी के साथ विभिन्न क्षेत्रों की बंधुआ मजदूरी को शामिल करने की मांग की जाएगी। इसके साथ ही बंधुआ मजदूर रखने वालों के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान करने, इस अपराध को गैर जमानती बनाने तथा जुर्माने की राशि को बढ़ाने की मांग भी शामिल की गई है। अभियान की शुरुआत के मौके पर आईजेएम के निदेशक (दक्षिण एशिया) साजू मैथ्यू ने कहा, ‘सरकारी स्तर पर बंधुआ मजदूरी की हकीकत को स्वीकार नहीं किया जाता है। यह बहुत दुर्भायपूर्ण स्थिति है। हमने भारत में इस अभियान को शुरू किया है ताकि बंधुआ मजदूरी उन्मूलन कानून में जरूरी संशोधन कराने के साथ ही इस समस्या के खिलाफ बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाई जा सके।’

राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के पूर्व सदस्य हर्ष मंदर ने मनरेगा का जिक्र करते हुए कहा, ‘मनरेगा से बंधुआ मजूदरी को रोकने में मदद मिल सकती है। यह योजना नियोजित ढंग से तैयार की गई है और कई जगहों पर इसका फायदा बंधुआ मजदूरी के खिलाफ मिल रहा है।’ एक्शनएड के संदीप चाचरा ने कहा, ‘बंधुआ मजदूर सिर्फ ईंट के भट्टों और खेतों में नहीं हैं। आज के दौर में औद्योगिक इकाइयों में बंधुआ मजदूर देखे जा रहे हैं। इसलिए हमारी मांग है कि बंधुआ मजदूरी विरोधी कानून का दायरा विस्तृत किया जाए।’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 31, 2012, 17:07

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