Last Updated: Monday, February 27, 2012, 06:49
नई दिल्ली: प्रवासी भारतीय दंपति के बच्चों के संरक्षण को लेकर चल रहे विवाद के सिलसिले में विशेष दूत मधुसूदन गणपति भारत की ओर से चिंता जताने नार्वे पहुंच गये हैं और वह सोमवार को नार्वे के विदेश मंत्री से मुलाकात करेंगे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि विदेश मंत्रालय में सचिव गणपति को मामले को फिर से उठाने और नार्वे के अधिकारियों को इस मुद्दे पर सरकार का रुख बताने का काम सौंपा गया है।
गणपति को नार्वे के विदेश मंत्री जोनास गहर स्टोर से मुलाकात करनी है। वह पिछले साल मई में नार्वे की बाल कल्याण सेवा के अधिकारियों द्वारा एक साल की ऐश्वर्या और तीन साल के अभिज्ञान को ले जाने के मामले में भारत की चिंताओं को व्यक्त करेंगे। बच्चों के माता- पिता और प्रवासी भारतीय दंपति सागरिका और अनुरूप भट्टाचार्य पर नार्वे के बाल कल्याण अधिकारियों ने बच्चों की अनदेखी का आरोप लगाया था। भारत इस समस्या के सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए नार्वे पर दबाव बना रहा है।
भारत ने कहा था कि वह दोनों भारतीय बच्चों की नार्वे से जल्दी वापसी सुनिश्चित करने के लिए समस्त प्रयास करेगा। विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने हाल ही में कहा था, ‘हम बच्चों को भारत वापस लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के सभी प्रयास करेंगे, जहां से वे नाता रखते हैं।’
नार्वे के अधिकारियों द्वारा बच्चों की वीजा अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें वहीं रखने की कोशिशों की निंदा करते हुए सरकार ने कहा कि बच्चे ना तो ‘अनाथ हैं और ना ही ऐसे हैं जो किसी देश के नागरिक नहीं हों।’ सरकार ने कहा कि उन्हें भारत का संरक्षण प्राप्त है।
अधिकारियों ने कहा था, ‘उनकी आवासीय अनुमति बढ़ाने का अनुरोध या तो माता.पिता की ओर से या भारत की ओर से किया जाना चाहिए।’ नार्वे के बाल कल्याण अधिकारियों ने हाल ही में बच्चों को उनके कोलकाता में रहने वाले चाचा की देखरेख में सौंपने पर सहमति जताई थी जो फिलहाल ओस्लो में हैं।
(एजेंसी)
First Published: Monday, February 27, 2012, 19:19