बनिहाल-काजीगुंड रेल लिंक शुरू, PM और सोनिया ने दिखाई हरी झंडी

बनिहाल-काजीगुंड रेल लिंक शुरू, PM और सोनिया ने दिखाई हरी झंडी

बनिहाल-काजीगुंड रेल लिंक शुरू, PM और सोनिया ने दिखाई हरी झंडीज़ी मीडिया ब्यूरो/एजेंसी
बनिहाल (जम्मू कश्मीर) : कश्मीर का सपना आज सच हो गया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने जम्मू क्षेत्र में बनिहाल और कश्मीर घाटी में काजीकुंड के बीच पहली ट्रेन को हरी झंडी दिखायी। पीएम और सोनिया गांधी ने संयुक्त रूप से इस रेल लाइन पर चलने वाली पहली ट्रेन को सुबह 11.50 बजे हरी झंडी दिखाई। कश्मीर घाटी में ट्रेन सेवा पहले से ही चालू है और उत्तरी कश्मीर में काजीगुंड और बारामूला के बीच 118 किलोमीटर लंबा मार्ग है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 11 अक्तूबर 2008 को इसका उद्घाटन किया था।

ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर से करीब 125 किलोमीटर दूर निर्मित स्टेशन को इस खास मौके के लिए अतिविशिष्ट लोगों की अगवानी की खातिर फूलों और मालाओं से सजाया गया था। इस मार्ग पर चलने वाली ट्रेन पीर पंजाल क्षेत्र में 11 किलोमीटर लंबी सुरंग से गुजरेगी।

आठ डिब्बों वाली ट्रेन 25 मिनट में बनिहाल से काजीगुंड पहुंच गई। इस ट्रेन में स्कूली बच्चे और इरकॉन तथा रेलवे के अधिकारी सवार थे। बनिहाल-काजीगुंड खंड में 11 किलोमीटर लंबी सुरंग भी शामिल है जो देश की सबसे बड़ी ऐसी सुरंग है। इससे 35 किलोमीटर की दूरी 18 किलोमीटर रह जाएगी। इसके निर्माण पर 1,691 करोड़ रुपए की लागत आयी है। प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी ट्रेन के रवाना होने से पहले इसमें सवार हुए और स्कूली बच्चों से बातचीत की। वे नई सुरंग से बनिहाल लौटे।

उधमपुर-बनिहाल खंड के 2017 तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे घाटी का संपर्क देश के बाकी हिस्से से सालोंभर बिना किसी बाधा के बना रहेगा। ट्रेन सेवा 27 जून से उत्तरी कश्मीर में बारामूला और बनिहाल के बीच नियमित रूप से शुरू होगी। बनिहाल-बारामूला-बनिहाल ट्रेन प्रतिदिन पांच फेरे लगाएगी।

बनिहाल से ट्रेन सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर रवाना होगी जबकि बारामूला से सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर यह शुरू होगी। इस मौके पर प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के अलावा राज्यपाल एन.एन. वोहरा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खडगे और स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद भी मौजूद थे।

सुरंग को बनाने में नई ‘आस्ट्रियन टनेलिंग’ पद्धति का इस्तेमाल किया गया है। भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया गया है। रखरखाव और आपात स्थिति में बचाव एवं राहत अभियान के लिए सुरंग के अंदर तीन मीटर चौड़ी सड़क भी बनायी गयी है। इस सुरंग को वाटरप्रुफ बनाया गया है।

First Published: Wednesday, June 26, 2013, 10:24

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