बलात्कार के मुकदमों की सुनवाई 60 दिन में खत्म हो : सुप्रीम कोर्ट

बलात्कार के मुकदमों की सुनवाई 60 दिन में खत्म हो : सुप्रीम कोर्ट

बलात्कार के मुकदमों की सुनवाई 60 दिन में खत्म हो : सुप्रीम कोर्टनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि कानून में प्रदत्त व्यवस्था के तहत बलात्कार के मुकदमे की सुनवाई दो महीने के भीतर पूरी होनी चाहिए। न्यायालय ने निचली अदालतों को मौजूदा मानदंडों का सख्ती से पालन करने का निर्देश देते हुए कहा कि मुकदमों की सुनवाई अनावश्यक रूप से लंबी अवधि के लिए स्थगित करके ऐसे मामलों में ‘जोड़ तोड़’ की संभावनाओं को खत्म करना चाहिए।

न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार और न्यायमूर्ति फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की खंडपीठ ने दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार की घटना से दस दिन पहले छह दिसंबर को अपने फैसले में यह व्यवस्था दी थी। न्यायालय ने हत्या और लूटपाट के जुर्म में उम्र कैद की सजा के खिलाफ मुजरिम अकील की अपील खारिज करते हुय फैसला सुनाया था।

अकील ने अपने दो अन्य साथियों के साथ अक्तूबर 1998 में मौजपुर इलाके में घर में घुस कर एक महिला की नकदी और आभूषण लूटने के दौरान महिला के परिचित को उस समय गोली मार दी थी जब उसने महिला से छेड़छाड़ करने के अभियुक्त के प्रयास पर आपत्ति की थी।

न्यायाधीशों ने कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 231 (अभियोजन के लिए साक्ष्य) और धारा 309 (कार्यवाही स्थगित करने के अधिकार) के प्रावधानों के मद्देनजर निचली अदालतों को मुकदमों की तेजी से सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए इसमें प्रदत्त प्रक्रिया का सख्ती से पालन करना चाहिए और महज आग्रह करने पर ही लंबे समय के लिये सुनवाई स्थगित करके किसी भी प्रकार की जोड़ तोड़ की संभावना को खत्म करना चाहिए।’

न्यायालय ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 376-ए से 376-डी के अंतर्गत आने वाले संबंधित अपराधों से जुड़े मुकदमों के बारे में अपराध प्रक्रिया संहिता में व्यवस्था है कि ‘जांच या सुनवाई यथासंभव गवाहों से पूछताछ शुरू होने की तारीख से दो महीने के भीतर पूरी की जाए।’ (एजेंसी)

First Published: Thursday, December 27, 2012, 22:31

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