Last Updated: Tuesday, March 5, 2013, 00:02

ढाका : बांग्लादेश ने वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के महत्वपूर्ण योगदान के लिए सोमवार को उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया।
बांग्लादेश के राष्ट्रपति भवन (बंगभवन) के दरबार हॉल में आयोजित एक समारोह में मुखर्जी को ‘बांग्लादेश मुक्तियुद्ध सम्मान’ प्रदान करते हुए राष्ट्रपति जिल्लुर रहमान ने कहा, ‘वर्ष 1971 में मुक्ति संग्राम को आपका समर्थन मानवता और न्याय के लिए था। आपके समर्थन ने हमें साहस और प्रेरणा दी।’
77 वर्षीय मुखर्जी ने प्रधानमंत्री शेख हसीना सहित करीब 200 स्थानीय और विदेशी हस्तियों के बीच यह सम्मान लिया। सम्मान ग्रहण करने के बाद प्रतिक्रिया में राष्ट्रपति ने कहा, ‘इस प्रतिष्ठित सम्मान को ग्रहण करते हुए विनीत महसूस कर रहा हूं और मुझे लगता है कि मेरा योगदान साधारण था।’
उन्होंने कहा,‘आज रात जब मैं यहां खड़ा हूं, मेरा दिमाग वर्ष 1971 की घटनाओं से भरा हुआ है। मैं 36 वर्ष का था, सांसद था जब बांग्लादेश के लोगों ने अपना मुक्ति संग्राम शुरू किया।’
उन्होंने अतीत के पन्ने पलटते हुए कहा कि 15 जून 1971 को राज्यसभा में निर्वासन में बनी बांग्लादेशी सरकार को मान्यता प्रदान करने पर विमर्श शुरू का सौभाग्य उन्हें मिला था।
मुखर्जी ने कहा कि भारत को बांग्लादेश के संपूर्ण विकास में पूर्ण दिलचस्पी है। हालांकि हमारे सहयोग की संपूर्ण संभावनाओं का सामने आना अभी बाकी है। उन्होंने कहा, ‘हमारी कोशिश यह देखने की होगी कि कैसे हमारे द्विपक्षीय संबंध हमारे लोगों के लिए सतत लाभ लेकर आते हैं और उनके जीवन स्तर की गुणवत्ता को सुधारते हैं। यह हमारे संबंधों के लिए लिटमस परीक्षण होगा।’
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मुखर्जी को बांग्लादेश का ‘सच्चा मित्र’ बताया जो ‘विभिन्न वर्गों की तमाम बाधाओं के बावजूद युद्ध के समय हमारे साथ खड़ा रहा और हमारी स्वतंत्रता के लिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।’
उन्होंने कहा, ‘देश के तौर पर, आपको बांग्लादेश मुक्तियुद्ध सम्मान प्रदान करना हमारे लिए गर्व का क्षण है।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, March 4, 2013, 23:58