Last Updated: Tuesday, April 24, 2012, 10:11
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश पर आज रोक लगा दी जिसमें शंकर बिदारी की राज्य की पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्ति रद्द कर दी गई थी और उन्हें सद्दाम हुसैन या मुअम्मर गद्दाफी से भी खराब करार दिया था। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की पीठ ने हाईकोर्ट से फिर से इस मामले पर विचार करने और 31 मई से पहले इसका निस्तारण करने को कहा।
हाईकोर्ट के 30 मार्च के आदेश पर रोक लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट ने न्यायमूर्ति सदाशिव आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के निष्कर्षों पर विचार किए बगैर एक अवधारणा के आधार पर आदेश जारी किया। बिदारी के अनुसार इन आयोगों ने जनजातीय महिलाओं पर एसटीएफ की कथित ज्यादती और बलात्कार के मामले में उन्हें पाक साफ करार दिया है। इससे पहले हाईकोर्ट ने यह कहते हुए बिदारी की नियुक्ति खारिज कर दी थी कि उन्हें आयोग ने दोषी ठहराया है क्योंकि जब कनार्टक और तमिलनाडु के संयुक्त एसटीएफ ने कथित ज्यादती की थी तब वह डिप्टी कमांडेंट थे। इस एसटीएफ का गठन चंदन तस्कर वीरप्पन को पकड़ने के लिए किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसका प्रथम दृष्टया मानना है कि सदाशिव आयोग और एनएचआरसी के निष्कर्ष पैनल में लिए गए अधिकारियों पर विचार करने के लिए प्रासंगिक नहीं हैं लेकिन फिर भी वह इस चरण में इस मुद्दे के गुण-दोष में नहीं जा रहा है और इस संबंध में तय करना वह हाईकोर्ट पर छोड़ता है। पूर्व सॉलीसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम बिदारी की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए जबकि वरिष्ठ वकील ने यू यू ललित ने कर्नाटक सरकार का पक्ष रखा।
एक अन्य वरिष्ठ वकील अल्ताफ अहमद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ए आर इनफैंट की ओर से पेश हुए जिनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने संबंधित आदेश पारित किया था। शीर्ष न्यायालय आईपीएस अधिकारी शंकर महादेव बिदारी की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें बतौर पुलिस महानिदेशक उनकी नियुक्ति खारिज कर दी गई है।
बिदारी की नियुक्ति को एक अन्य पुलिस महानिदेशक ए आर इनफैंट ने चुनौती दी थी जो बिदारी से एक साल वरिष्ठ हैं लेकिन उन्हें कथित रूप से बाईपास किया गया था।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 24, 2012, 15:42