Last Updated: Wednesday, August 1, 2012, 15:08

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 1999 के बहुचर्चित बीएमडब्लू कार सड़क दुर्घटना कांड में से तीन अभियुक्तों को बरी कर दिया है। इन तीनों पर साक्ष्य मिटाने के आरोप थे। इस बीच, न्यायालय ने इस कांड की सही तरीके से जांच नहीं करने के लिए दिल्ली पुलिस की खिंचाई की है।
न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन की खंडपीठ ने व्यवसायी राजीव गुप्ता और उसके दो कर्मचारियों भोला नाथ और श्याम सिंह को इस घटना के लिए दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को निरस्त कर दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस निर्णय की पुष्टि कर दी थी। इस घटना के सिलसिले में राजीव गुप्ता को छह महीने और उसके दोनों कर्मचारियों को तीन तीन महीने की कैद की सजा सुनायी गयी थी। इस दुर्घटना कांड में संजीव नंदा मुख्य अभियुक्त है।
1999 की इस बहुचर्चित सडक दुर्घटना कांड के मुख्य अभियुक्त संजीव नंदा की सजा पांच साल से घटाकर दो साल करने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर शीर्ष अदालत सुनवाई पूरी कर चुकी है। इस मामले में अभी निर्णय आना है।
न्यायालय ने पुलिस की जांच में अनेक खामियों को इंगित करते हुए कहा कि इस मामले के साक्ष्यों से स्पष्ट रूप से यह निष्कर्ष नहीं निकलता है कि इन अभियुक्तों ने सबूतों से छेड़छाड़ की थी। न्यायालय ने कहा कि इस्तगासा ने ऐसा कोई भी विश्वसनीय सबूत दर्ज नहीं किया जिससे यह पता चले कि दुर्घटना के बाद बीएमडब्लू कार से खून के दाग मिटाने के लिए किसने गाड़ी धोई थी। न्यायालय ने सवाल किया कि दिल्ली पुलिस ने सबूत मिटाने के प्रयास का दावा सिद्ध करने के लिए कार से उंगलियों के निशान क्यों नहीं उठाये?
दिल्ली उच्च न्यायालय ने जुलाई 2009 में संजीव नंदा की सजा पांच साल से घटाकर दो साल कर दी थी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि नंदा को यह जानकारी थी कि यह तेज और लापरवाही से गाड़ी चलाने से इस तरह का हादसा हो जायेगा। यह हादसा 10 जनवरी, 1999 को हुआ था। इस हादसे में बीएमडब्लू ने तीन पुलिसकर्मियों सहित छह व्यक्तियों को कुचल दिया था। हादसे के समय संजीव नंदा ही गाड़ी चला रहा था।
उच्च न्यायालय ने संजीव नंदा को गैर इरादतन हत्या के अपराध से बरी करते हुए उसे लापरवाही से तेज वाहन चलाने के कारण मृत्यु के जुर्म में दोषी ठहराया था। न्यायालय ने सबूत नष्ट करने के जुर्म में व्यावसायी राजीव गुप्ता की सजा कम करके छह महीने और उसके दो कर्मचारियों की सजा घटाकर तीन तीन महीने कर दी थी। निचली अदालत ने राजीव गुप्ता को एक साल और उसके दो कर्मचारियों को छह छह महीने की कैद की सजा सुनायी थी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, August 1, 2012, 15:08