Last Updated: Wednesday, June 12, 2013, 19:08
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पटना : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने पर पिछले 17 सालों से राजग में भाजपा के साथ रहा जेडीयू धीरे-धीरे रास्ता अलग करने की ओर अग्रसर है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आगामी 14 जून को सेवा यात्रा से लौटने के बाद इस संबंध में बड़ा निर्णय किया सकता है।
जेडीयू सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ जेडीयू कोर ग्रुप के बीच हुए विचार-विमर्श का सार यह है कि मोदी को अगले लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान समिति का प्रमुख बनाए जाने पर जेडीयू के लिए भाजपा के साथ आगे रिश्ता रखना संभव नहीं होगा। ऐसे में उससे संबंध विच्छेद करना ही उचित होगा और इस संबंध में केवल एक घोषणा की जानी बाकी है।
उधर, जदयू के राजग से अलग होने के संकेतों के बीच भाजपा ने आज कहा कि दोनों दलों को बिहार की जनता के जनादेश का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि प्रदेश के लोगों ने इन दोनों से अलग अलग नहीं बल्कि एक साथ मिल कर सरकार बनाने की कामना की थी। भाजपा के नेताओं ने कहा कि पार्टी इस बारे में एकदम स्पष्ट है कि वह अपनी ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे दोनों दलों के अलग होने की नौबत आए।
राजग के कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने आज जदयू अध्यक्ष शरद यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर बात करके उन्हें यह समझाने का प्रयास किया कि दोनों दलों को साथ बने रहना चाहिए। राजग के गठन के समय से ही जदयू उसका हिस्सा है।
भाजपा प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने जदयू के राजग से अलग होने के संकेतों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि बिहार की साढ़े दस करोड़ जनता और 21 करोड़ आंखे इस गठबंधन की ओर बहुत उम्मीदों से देख रही हैं। बिहार के मतदाताओं ने इनमें से किसी एक दल के लिए नहीं बल्कि जदयू-भाजपा गठबंधन के लिए जनादेश दिया है। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन का बने रहना राज्य के हित में है और इसके दलों को अलग होकर मतदाताओं के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
पटना में बुधवार को आयोजित कृषि कैबिनेट के बाद मीडियाकर्मियों की ओर से भाजपा से संबंध के बारे में पूछे जाने पर कुछ भी उत्तर दिए बिना हाथ जोड़ते हुए नीतीश अपनी कार में सवार होकर रवाना हो गए। नीतीश अपनी सेवा यात्रा के तहत गुरुवार को कटिहार जिला जाएंगे और वह 14 जून को पटना लौटेंगे।
सूत्रों ने बताया कि बड़ी घोषणा के लिए जेडीयू विधायकों और पार्षदों से आगामी 14 और 15 जून को पटना में रहने को कहा गया है। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में वर्तमान में जेडीयू के 118 विधायक हैं और बहुमत सिद्ध करने के लिए उसे 122 के आंकड़े की जरूरत पड़ेगी।
बिहार विधानसभा में भाजपा के 91, राजद के 22, कांग्रेस के चार तथा लोजपा और भाकपा के एक-एक और छह निर्दलीय विधायक हैं। 122 के आंकड़े को प्राप्त करने के लिए जेडीयू निर्दलीय या कांग्रेस के विधायकों की मदद ले सकता है।
दो निर्दलीय विधायक पवन जायसवाल और विनय बिहारी के साथ नीतीश के विश्वस्त माने जाने वाले जेडीयू सांसद आरसीपी सिंह के आवास पर आज दोपहर करीब एक घंटे तक चली बैठक को भाजपा से संबंध तोड़ने पर बहुमत जुटाने के लिए जेडीयू के प्रयास की एक कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।
बैठक के बाद इन निर्दलीय विधायकों को जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह के साथ आरसीपी के घर से बाहर निकलते हुए देखा गया। जब पवन जायसवाल से जदयू को समर्थन देने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सीधे तौर पर कुछ बोलने से बचते हुए संजय सिंह को अपना बड़ा भाई और आरसीपी सिंह को अभिभावक बताया और कहा कि वह टहलने के क्रम में आरसीपी के घर आए थे। आरसीपी के घर से बाहर निकले दूसरे निर्दलीय विधायक विनय बिहारी ने कहा कि मीडिया के जरिए उन्हें पता चला है कि गठबंधन (भाजपा-जदयू) टूट भी सकता है या टूटने के कगार पर है। यह पूछे जाने पर क्या वह जदयू के खेमे में है तो इस पर कोई सीधी टिप्पणी करने से बचते हुए विनय ने कहा कि सरकार पांच सालों तक चले और यहां झारखंड जैसी स्थिति नहीं उत्पन्न नहीं हो। उन्होंने कहा कि न तो वह चाहते हैं और न ही प्रदेश की जनता मध्यावधि चुनाव चाहती है।
निर्दलीय विधायकों के साथ हुई बैठक के बारे में संजय से पूछे जाने पर कि क्या बहुमत के लिए विधानसभा में आवश्यक विधायकों की संख्या का जुगाड़ कर लिया है, उन्होंने कहा कि पहले से भी ये विधायक साथ हैं और पहले भी जदयू की बैठक में आते रहे हैं। बिहार में राजग संयोजक और भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने बताया कि जदयू के विचार-विमर्श के बारे में उन्हें अखबार के जरिए पता चला है, पर राजग के समक्ष औपचारिक तौर पर कुछ भी नहीं आया है। उन्होंने कहा कि जदयू द्वारा निर्णय लिए जाने पर राजग अपनी प्रतिक्रिया देगा।
यादव ने कहा कि नवंबर 2005 में राजद को सत्ता से बाहर करने के बाद न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत भाजपा और जदयू गठबंधन की बिहार में सरकार चल रही है। उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों में से कोई भी न्यूनतम साझा कार्यक्रम से बाहर नहीं गया ऐसे में गठबंधन टूटने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं, जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने आज आरोप लगाया कि कांग्रेस मुक्त राजनीति की घोषणा करने वाले नरेंद्र मोदी सरदार पटेल की बहुत ऊंची मूर्ति लगाने जा रहे हैं, लेकिन वह शायद भूल गए कि पटेल कांग्रेस के नेता थे और कांग्रेस हुकूमत में देश के उपप्रधानमंत्री थे। उन्होंने कहा कि इसमें मोदी जी का दोष नहीं है। वह जिस धारा से आते हैं उसमें शायद ही कोई ऐसा है जिसकी मूर्ति लगाई जा सके।
तिवारी ने कहा कि चाहे आजादी के लिए संघर्ष हो या आपातकाल का समय हो, मोदी की धारा के लोगों ने हमेशा माफी मांगी है और संघर्ष के विरोध में रहे हैं। उन्होंने कहा कि पटेल का व्यक्तित्व देश और समाज को जोड़ने वाला रहा है, जबकि मोदी का व्यक्तित्व तोड़ने वाला है। वर्ष 2002 में यदि पटेल देश के प्रधानमंत्री होते तो मोदी को तत्काल मुख्यमंत्री पद से बख्रास्त कर देते, जिस मुख्यमंत्री के शासन में महीनों दंगा चले वह कुशल मुख्यमंत्री कैसे हो सकता है।
तिवारी ने कहा कि ऐसे में मोदी से उनका अनुरोध है कि अपना प्रचार करने के लिए सरदार पटेल को माध्यम बनाकर उनकी छवि को मत बिगाडि़ये।
जदयू के वरिष्ठ नेता और बिहार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने कहा कि मोदी देश का नेतृत्व नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि अगर लालकृष्ण आडवाणी को अगर नेतृत्व प्रदान किया जाता है तो उनकी पार्टी राजग में बने रहने पर विचार करेगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय से जब संभावित घटनाक्रम के बारे में पूछा गया तो उन्होने कहा कि हम गठबंधन को जरूर बनाए रखना चाहते हैं।
पांडेय ने कहा कि इस गठबंधन को तोडने वाले को बिहार की जनता माफ नहीं करेगी, क्योंकि प्रदेश के लोगों ने इस गठबंधन को यहां से राजद के जंगलराज को हटाने के लिए वोट दिया था। उन्होंने कहा कि हाल के राजनीतिक घटनाक्रम के बारे में उन्हें कुछ अजब सा लग रहा है। तीन दिनों पूर्व तक वातावरण सामान्य था और जदयू की ओर से भी जो बातें आ रही थी वह गठबंधन के पक्ष में था। पांडेय ने कहा कि भाजपा नेतृत्व यह कभी स्वीकार नहीं कर सकता कि नरेंद्र मोदी जैसे लोकप्रिय नेता के संबंध में कोई अमर्यादित टिप्पणी की जाए।
वहीं, बिहार के लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता चंद्रमोहन राय ने कहा कि उनकी पार्टी ने जदयू के साथ प्रदेश की जनता को पिछली राजद सरकार के कुशासन से मुक्ति दिलाने के लिए हाथ मिलाया था। उन्होंने कहा कि आज न जाने किन कारणों से नरेंद्र मोदी का बहाना बनाकर वे ऐसा करना चाहते हैं। भाजपा ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है, उन्हें केवल पार्टी के चुनाव अभियान समिति का प्रमुख बनाया है। राय ने कहा कि जैसी उन्हें खबरें मिल रही है अगर गठबंधन टूटता है तो इसकी सारी जिम्मेदारी नीतीश कुमार पर होगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन टूटने की स्थिति में जदयू के राजनीतिक सहयोगी से प्रतिद्वंदी बनने पर हम धारदार और जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका में होंगे।
First Published: Wednesday, June 12, 2013, 18:53