Last Updated: Sunday, May 26, 2013, 12:27
नई दिल्ली : बेगम और रोनाल्डो ने सैकडों किलो अफीम पकडवाने में मदद की जबकि टीना ने विस्फोटकों से भरे वाहन का पता लगाया । इसी तरह सिम्मी, रेखा, जिप्सी, सिक्का, जिम्मी और सूजी ने या तो विस्फोटक या फिर मादक द्रव्य पकडवाया। ये जांबाज़ खोजी कुत्ते ग्वालियर स्थित बीएसएफ अकादमी के नेशनल ट्रेनिंग सेंटर फॉर डाग्स में प्रशिक्षित हुए।
अकादमी की वेबसाइट पर इन खोजी कुत्तों की उपलब्धियों का ब्यौरा है। बेगम नामक खोजी मादा कुत्ते ने एक अप्रैल 2011 को मध्य प्रदेश के नीमच जिले में गश्त के दौरान एक मोटरसाइकिल में छिपाकर रखी गयी 323 किलो से अधिक अफीम पकडी। नीमच में ही रोनाल्डो नामक खोजी कुत्ते ने 23 अप्रैल 2010 को गश्त के दौरान कई किलो अफीम पकडने में मदद की।
इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे पर तस्करी के इरादे से लायी गयी लगभग 60 किलो हशीश के साथ जापान का एक व्यक्ति 20 नवंबर 2006 को पकडा गया। दिल्ली के सीमा शुल्क अधिकारी खोजी मादा रीटा की मदद से यह सफलता हासिल कर सके।
श्रीलंका पुलिस की मादा टीना को विस्फोटक का पता लगाने का प्रशिक्षण दिया गया। वह जब वापस श्रीलंका गयी तो वहां उसने एक चेक प्वाइंट पर विस्फोटकों से भरा वाहन पकडवाने में मदद की। इसी तरह सूजी ने दो हैंडग्रेनेड पकडे। जिम्मी भी कहां पीछे रहने वाला था, उसने पांच किलो आईईडी का पता लगाया।
हेलन ने 30 अगस्त 2001 को रिमोट कंट्रोल से संचालित आईईडी पकडवाने में सहायता की। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडे पर 24 जून 2001 को पकडे गये एक विदेशी के पास से 16 किलो अफीम बरामद हुई, जिसकी कीमत एक करोड रूपये थी। इस विदेशी को पकडवाने में हेलन की बडी भूमिका रही। रेखा ने 23 अप्रैल 2001 को सोपोर में नियमित गश्त के दौरान 20 किलो आरडीएक्स पकडवाया। सिम्मी ने भी वर्ष 2000 में नगालैंड और मणिपुर में आईईडी पकडवाया ।
अकादमी में कुत्तों के लिए 4 सप्ताह से 36 सप्ताह तक के प्रशिक्षण कार्यक्रम हैं, जिसमें विस्फोटक का पता लगाने, मादक द्रव्यों का पता लगाने, तलाशी लेने, बचाव कार्य करने और पहरेदारी जैसे अलग अलग पाठ्यक्रम होते हैं। जब कुत्ता छह से नौ महीने का होता है, प्रशिक्षण तभी से चालू कर दिया जाता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 26, 2013, 12:27