Last Updated: Wednesday, October 17, 2012, 15:10
बैंगलुरु : कर्नाटक उच्च न्यायालय ने अपनी नाबालिग बेटी का बलात्कार करने के अभियुक्त फ्रांस के राजनयिक पास्कल मझूरियर को आज सर्शत जमानत दे दी। न्यायालय ने कहा कि परिस्थितिजनक साक्ष्यों से यह ‘स्पष्ट’ नहीं होता कि उसने यह अपराध किया।
न्यायमूर्ति एच एन नागमोहन दास ने पास्कल की जमानत याचिका मंजूर कर ली। साथ ही इस मामले में शिकायत दर्ज कराने में हुई देरी का जिक्र करते हुए उन्होंने इस विलंब की वजह भी जाननी चाही है। यह घटना 13 जून 2012 को हुई और अगले ही दिन पास्कल की पत्नी सुजा जोन्स ने शिकायत की थी।
न्यायालय ने कहा कि मामले का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। पास्कल को इस शर्त पर जमानत दी गई है कि वह एक लाख रुपए का निजी मुचलका और इतनी ही राशि के दो स्थानीय जमानत पेश करेंगे। न्यायालय ने उन्हें अपना पासपोर्ट न्यायिक दंडाधिकारी को सौंपने, अनुमति लिए बगैर न्यायालय के न्यायक्षेत्र से बाहर नहीं जाने और किसी भी तरह से अभियोजन पक्ष के गवाहों से हस्तक्षेप नहीं करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि बेंगलूर स्थित फ्रांस के महावाणिज्य दूतावास के राजनयिक पास्कल की पत्नी की शिकायत के बाद उन्हें 19 जून को गिरफ्तार किया गया था। उनपर अपनी साढ़े तीन साल की बेटी से बलात्कार का आरोप है। इससे पहले एक फास्ट ट्रैक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता सुजा जोन्स के अनुसार, इस नाबालिग लड़की ने बताया कि निवेदक ने उसे नुकसान पहुंचाया। इसलिए पीड़ित बोलने में सक्षम है और उसका बयान दर्ज नहीं किया गया। आदेश में कहा गया कि तीन गवाहों गीता ज्योति और चार्ल्स के बयानों पर आधारित परिस्थितिजनक साक्ष्यों से यह स्पष्ट नहीं होता कि याचिकाकर्ता ने यह अपराध किया। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 17, 2012, 15:10