`भाजपा शासित राज्यों से केंद का सौतेला व्यवहार`

`भाजपा शासित राज्यों से केंद का सौतेला व्यवहार`

नई दिल्ली : भाजपा शासित पांच राज्यों में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने के बीच पार्टी ने आज मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलायी और उनके राज्यों में आर्थिक विकास की स्थिति पर चर्चा की। पार्टी ने केंद्र पर धन के आवंटन में भाजपा शासित राज्यों के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपमुख्यमंत्रियों और विपक्ष के नेताओं की एक दिवसीय बैठक में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार की नीतिगत पंगुता पर चर्चा की। उन्होंने इस विषय पर चर्चा की कि किस प्रकार से कथित तौर पर केंद्र का धन के आवंटन और योजनाओं पर अमल करने में विपक्ष शासित राज्यों के सौतेला व्यवहार रहता है।

बैठक के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री रमण सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और कर्नाटक के मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार समेत सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र पर उनकी मांगों को नजरंदाज करने का आरोप लगाया।

बैठक के दौरान गोवा के मुख्यमंत्री मनोहन पार्रिकर के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पंजाब के वरिष्ठ भाजपा मंत्री चुन्नी लाल ने भी हिस्सा लिया। झारखंड का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ मंत्री विमला प्रधान ने किया।

अपने संबोधन में गुजराज के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने राज्य को केंद्रीय कोष मंजूरी किये जाने में समस्या के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगया कि आरबीआई ने 13 बार ब्याज दर बढ़ायी है जिससे निवेश प्रभावित हो रहा है।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री आवंटित धन के सदुपयोग का श्रेय लेने की कोशिश करते हैं जबकि इसका श्रेय सही अथरे में राज्यों को जाता है। संप्रग सरकार ने राज्य और केंद्र के बीच की सीमा के प्रति असम्मान का प्रदर्शन किया है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमण सिंह ने कहा कि केंद्र बजट घाटा, मुद्रास्फीति और रूपये का अवमूल्यन रोकने के साथ राजकोषीय पारदर्शिता कायम करने में विफल रही है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने आज अपनी पार्टी के शासन वाले सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि वे सुशासन की सफलता को राजनीतिक सफलता में बदलने में जुट जाएं।

गडकरी ने यहां पार्टी के तीसरे मुख्यमंत्री सम्मेलन के अध्यक्षीय भाषण में कहा, हमारे राज्य देश की प्रगति में बहुत सराहनीय योगदान दे रहे हैं। पूरा देश इसी तरीके की प्रगति चाहता है। मगर जहां राज्य सरकारें प्रगति के पथ पर तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं, केन्द्र सरकार प्रगति के मार्ग पर स्पीड ब्रेकर (गतिरोधक) बनी हुई है।

उन्होंने कहा, केन्द्र की सत्ता पाने के लिए लोगों का विश्वास जीतते हुए हमें यह स्पीड ब्रेकर हटाना होगा। पिछले तीन सालों से हालात का जायज़ा लेने के लिए भाजपा अपने शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन आयोजित कर रही है। इस बार के सम्मेलन का मुख्य विषय ‘देश की आर्थिक स्थिति’ था।

केन्द्र की सत्ता पर नजर जमाए पार्टी के प्रमुख ने दावा किया, इस सरकार ने सभी क्षेत्रों में जनता के विश्वास को ठेस पंहुचाई है। उद्योगपति, किसान, मज़दूर, युवा, छात्र, महिलाएं, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के लोग सभी हताश हैं। भाजपा शासित राज्यों के सभी क्षेत्रों में अन्य सभी राज्यों से बेहतर काम करने का दावा करते हुए गडकरी ने कहा कि अब जरूरत सिर्फ इस बात की है कि हमारे सुशासन की सफलता को हम राजनीतिक सफलता में रूपांतरित करें। जिसे आकांक्षापूर्ण भारत कहते हैं, ऐसा उम्मीद रखने वाला भारत अगर किसी की ओर आशाभरी निगाहों से देख रहा है तो वह हम हैं।

अगले आम चुनाव में भाजपा नीत शासन की उम्मीद जताते हुए गडकरी ने कहा, हमारे उपर ऐतिहासिक दायित्व है। हमें लोगों को कुशासन से मुक्त करके सुशासन देना है। जहां हम सत्ता में हैं वहां हमें सत्ता को मज़बूत करना है। जहां नहीं हैं, वहां हमें सत्ता में आना है। हम सब जानते हैं कि दिल्ली का रास्ता राज्यों से होकर गुजरता है। इस सम्मेलन से उन्होंने गरीबों, किसानों, मजदूरों, सामाजिक रूप से वंचित वर्गो, महिलाओं तथा युवाओं के सर्वागीण विकास को सर्वाधिक प्राथमिकता देने का आह्वान किया। उन्होंने इन वर्गो का विश्वास जीतने के लिए उनसे जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं का एक व्यापक कार्यक्रम निर्धारित करने की अपने पार्टी के मुख्यमंत्रियों को सलाह दी।

देश के आर्थिक हालात को चिंताजनक बताते हुए गडकरी ने कहा कि मंहगाई आसमान छू रही है और हमारे प्रधानमंत्री बारिश कम होने का बहाना बना रहे हैं। उन्होंने कहा, मगर इनकी (मनमोहन) सरकार में नीति और नीयत का ही अकाल है। ना नीति निर्धारण है और ना निर्णय लेने की इच्छाशक्ति है। उन्होंने आरोप लगाया कि अकर्मण्यता के कारण न्यायालय की फटकार खाने से मनमोहन सरकार ने उच्चांक स्थापित किया है। छोटे छोटे प्रशासनिक मुद्दों के क्रियान्वयन के लिए लोगों को अदालतों के दरवाज़े खटखटाने पड़ रहे हैं। (एजेंसी)

First Published: Saturday, August 18, 2012, 21:54

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