Last Updated: Saturday, July 28, 2012, 14:29
पुणे : वर्ष 2005 में देश को कुष्ठ मुक्त घोषित किए जाने के बावजूद बीमारी के ताजा मामले सामने आने से केंद्र सरकार की चुनौतियों बढ गयी है। इंटरनेशनल लेप्रोसी यूनियन (आईएलयू) भारत के अध्यक्ष एसडी गोखले के मुताबिक वर्ष 2010 में दुनिया में कुष्ठ रोग के 2,28,474 नये मामलों का पता चला। भारत में कुल 1,26,800 मामलों का पता चला है जो कुल संख्या का 55.5 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, यदि केंद्र और राज्य सरकार इस तथ्य (राज्यसभा में 13 मार्च 2012 को एक सवाल के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन आंकड़ों की पुष्टि की) पर गंभीरता नहीं दिखाती है और कुष्ठ उन्मूलन के लिए कोई प्रभावशाली प्रयास नहीं करती है तो यह समस्या और गहराएगी।
गोखले ने कहा कि कुष्ठ प्रभावित मरीज (एलएपी) जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उसके समाधान के लिए आईएलयू ने एक ‘एलएपी मानवाधिकार प्रकोष्ठ’ बनाने का फैसला किया है। इसमें समग्र या निजी तौर पर अपनी परेशानियों को दर्ज करा सकते हैं।
आईएलयू ने शहर में तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न राज्यों में कुष्ठ रोगियों के लिए काम कर रहे कार्यकर्ताओं ने शिरकत की। (एजेंसी)
First Published: Saturday, July 28, 2012, 14:29