भूमि अधिग्रहण बिल के मसौदे में बदलाव

भूमि अधिग्रहण बिल के मसौदे में बदलाव

नई दिल्ली : भूमि अधिग्रहण विधेयक के मसौदे में ताजा बदलाव किये गए हैं जिसके तहत निजी उद्देश्य से भूमि अधिग्रहण करने के लिए भूस्वामियों की सहमति को संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से मिले एक सुझाव के बाद और कड़ा किया गया है। प्रस्तावित विधेयक में निजी उद्देश्य के लिए अधिग्रहण की जाने वाली भूमि के लिये 80 प्रतिशत भूस्वामियों की सहमति जरूरी करने का प्रावधान किया जा रहा है जबकि पहले 67 प्रतिशत की सहमति की बात कही गयी थी।

विधेयक पर गठित मंत्रिसमूह के प्रमुख कृषि मंत्री शरद पवार ने प्रस्तावित विधेयक में परिवर्तनों का खुलासा करते हुए कहा कि सार्वजनिक उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण करने के वास्ते भूस्वामियों की सहमति आवश्यक नहीं है।

पवार ने इस मुद्दे पर ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश से मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि प्रस्तावित बदलावों को मंत्रिसमूह के 14 सदस्यों के बीच जल्द ही वितरित किया जाएगा ताकि उनके विचार और सहमति प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा, मंत्रिसमूह की गत बैठक के दौरान विस्तृत चर्चा की गई थी। कुछ लोगों ने बदलाव सुझाये थे जिन पर आज चर्चा के बाद अंतिम रूप प्रदान किया गया।

प्रमुख बदलावों में भूस्वामियों की सहमति 80 प्रतिशत किया जाना शामिल है यदि सरकार भूमि का अधिग्रहण निजी उद्देश्य के लिए कर रही है। विधेयक के मसौदे में बदलाव सोनिया की सिफारिशों की पृष्ठभूमि में आये हैं जिसमें उन्होंने सुझाव दिया था कि निजी उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए भूस्वामियों की सहमति के स्तर में बढ़ोतरी की जाए।

मंत्रिसमूह की गत 16 अक्तूबर को आयोजित पिछली बैठक में निजी उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए भूस्वामियों की दो तिहाई (67 प्रतिशत) करने के एक प्रावधान को मंजूरी दी गई थी। यह पूछे जाने पर कि भूस्वामियों की सहमति का प्रतिशत बढ़ाये जाने से निजी उद्योग नाराज होगा, पवार ने कहा, यदि ऐसी बात है तो उद्योग निजी तौर पर खरीद कर सकते हैं।

पुनर्वास के मुद्दे पर मंत्री ने कहा यदि भूमि का अधिग्रहण सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) आधार पर किया जाता है कि उसे अनिवार्य बनाया जाएगा जबकि यदि कोई निजी व्यक्ति भूमि की खरीद निजी प्रयोग के लिए करता है तो ऐसे मामले में निर्णय राज्य सरकार करेगी। उन्होंने कहा कि पीपीपी के तहत सार्वजनिक उद्देश्य के लिए भूमि अधिग्रहण करने के लिए कुछ रियायतें दी जाएंगी। रियायतों का निर्णय राज्य सरकार की ओर से किया जाएगा।

पवार ने कहा कि यदि भूमि का अधिग्रहण विशेष आर्थिक क्षेत्र :सेज: के लिए किया जाता है तो इस मुद्दे पर निर्णय राज्य सरकारें करेंगी। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में कोई भी पूर्वप्रभावी धारा नहीं होगी। उन्होंने कहा, उसमें (प्रस्तावित विधेयक) उसी दिन से लागू होगा जब संसद उसे पारित करेगी। ऐसे कुछ मामले हैं जिनमें भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और भुगतान नहीं किया गया है वहां हमने राज्य सरकारों से मशविरा करने का कहा है।

एक परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि का दूसरे में इस्तेमाल करने पर पवार ने कहा, ‘‘मुझे देखना होगा कि इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का फैसला इस पर लागू होता है या नहीं। हम इस मुद्दे पर कानून मंत्रालय से विचार मशविरा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि किसी परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि में से बची भूमि को फिर से बिक्री नहीं की जा सकती और उसकी नीलामी होनी चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रिसमूह की फिर बैठक होगी, पवार ने कहा, मैं बदलावों को सभी सदस्यों को कल भेज दूंगा और अनुरोध करूंगा कि वे अपने विचार एक सप्ताह में भेज दें। मान लीजिये कि कुछ मुद्दें हैं तो मुझे फिर से मंत्रिसमूह की बैठक बुलानी होगी। मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसी स्थिति नहीं होगी और मैं इसे कैबिनेट में ले जाउंगा। मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्तावित विधेयक को संभवत: संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। (एजेंसी)


First Published: Monday, October 29, 2012, 22:42

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