Last Updated: Monday, January 14, 2013, 15:25
संगम (इलाहाबाद) : दुनिया का सबसे विशाल आयोजन, महाकुम्भ मेला सोमवार को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में संगम तट पर शुरू हो गया। नागा साधुओं के नेतृत्व में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में डुबकी लगाई। यह कुंभ मेला गंगा, जमुना और सरस्वती नदियों के मिलन स्थल, यानी संगम पर प्रत्येक 12 वर्ष पर लगता है।
वरिष्ठ अधिकारी बी.पी. सिंह ने बताया कि मकर संक्रांति के पर्व पर संगम में लगभग 50 लाख लोगों के डुबकी लगाने की सम्भावना है। वीआईपी घाट पर विशेष बंदोबस्त किए गए हैं, जहां साधुओं के 13 अखाड़ों ने आम सहमति के साथ बनी व्यवस्था के अनुसार स्नान का नेतृत्व किया।
सबसे पहले स्नान का नेतृत्व महानिर्वाणी अखाड़ा ने किया, उसके बाद निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा, जूना अखाड़ा और बैरागी अखाड़ा के अलावा अन्य अखाड़ों के साधुओं ने स्नान का नेतृत्व किया। सोमवार सुबह पांच बजने के साथ ही रथों का काफिला संगम की ओर चल पड़ा। इनमें से कुछ रथ सोने-चांदी से सजे हुए थे। रथों के पीछे सैकड़ों की संख्या में लोग ढोल बजाते और शंखध्वनि करते पैदल चल रहे थे। इस अद्भुत नजारे को अपने शब्दों और कैमरों में कैद कर लेने को देसी-विदेशी पत्रकारों का झुंड आतुर था। जैसे ही विभूति से धूसरित नागा साधुओं का झुंड पवित्र गंगा में स्नान के लिए कूदना शुरू किया, छायाकारों के कैमरे चमक उठे। पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से पहले साधुओं ने नृत्य किया और प्रेस गैलरी की ओर पुष्पाहार उछाले।
चांदी के त्रिशूल, गदे, कुल्हाड़ी और तलवार लिए कुछ जटाधारी साधुओं ने आईएएनएस से कहा कि जैसे ही वे मां गंगा को स्पर्श करते हैं, वे खुद को दुनिया से सर्वोपरि महसूस करने लगते हैं। वृंदावन के 75 वर्षीय मोक्षानंद ने कहा कि यह एक रोमांचक क्षण है। उन्होंने कहा कि यह उनका लगातार 7वां महाकुम्भ है। महाकुम्भ-2013 के प्रभारी मेला अधिकारी मणि प्रसाद मिश्रा ने कहा कि स्नान स्थल के तीन किलोमीटर के दायरे में बालू की बोरियां बिछाई गई हैं।
मिश्रा ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए बंदोबस्त किए गए हैं कि प्रमुख स्नान दिवसों पर गंगा का प्रवाह व्यवस्थित व स्वच्छ बना रहे। मेला क्षेत्र की साफ-सफाई के लिए 10,000 सफाईकर्मियों का एक विशेष दल तैनात किया गया है। (एजेंसी)
First Published: Monday, January 14, 2013, 15:25