महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की खिंचाई

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की खिंचाई

नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) के लिए आवंटित 57.82 करोड़ रुपये की राशि को अन्य गतिविधियों में लगाए जाने की कड़ी की आलोचना की है।

वर्ष 2012-13 के लिए आईसीडीएस पर आज संसद में पेश की गयी अपनी रिपोर्ट में कैग ने बाल कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए योजना के तहत आवंटित राशि की ‘अपर्याप्त ’ निगरानी व्यवस्था को लेकर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है।

रिपेार्ट में कहा गया है कि हरियाणा में पूरक पोषाहार के लिए दिए गए 38.6 करोड़ रुपये की राशि को वर्ष 2006-11 के दौरान लाडली योजना, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय तथा नए आंगनवाड़ी केंद्रों के लिए फर्नीचर खरीदने पर खर्च कर दिया गया। इसमें कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2008-09 के दौरान एक करोड़ रुपये की धनराशि सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों के लिए प्रदान की गई थी, लेकिन इसे राज्य प्रायोजित महामाया गरीब बालिका आर्शीवाद योजना के लिए प्रचार एवं पर्चे तथा आवेदन पत्रों के प्रकाशन पर लगा दिया गया। इसी प्रकार आईईसी गतिविधियों के लिए मिले 6.08 करोड़ रुपये को कम्प्यूटरों की खरीद में इस्तेमाल कर लिया गया।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओड़िशा, कर्नाटक तथा राजस्थान में भी इसी प्रकार के मामले देखे गए। रिपोर्ट में कैग ने पुरजोर सिफारिश की है कि धनराशि को दिशा निर्देशों के अनुसार ही खर्च किया जाए और किसी विशेष योजना के लिए आवंटित कोष को अन्यत्र इस्तेमाल नहीं किया जाए। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 5, 2013, 17:22

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