Last Updated: Wednesday, May 29, 2013, 21:28

नई दिल्ली : खुफिया रिपोर्ट के अनुसार माओवादी आने वाले महीनों में दिल्ली जैसे बडे शहरों में लक्ष्य तय कर हत्याएं कर सकते हैं क्योंकि वे बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने के मौके तलाश रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की हत्या के बाद नक्सलियों का हौसला काफी बढ़ गया है। अब वे अपने प्रभाव क्षेत्र के बाहर भी भाकपा-माओवादी की गतिविधियों का विस्तार करना चाहते हैं और लक्ष्य तय कर हत्याएं करने को महत्वपूर्ण विकल्प मान रहे हैं।
खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि माओवादियों को हाल फिलहाल में काफी नुकसान झेलना पड़ा है और जगदलपुर में शनिवार को किया गया हमला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आने के माओवादियों के प्रयास का परिणाम था। साथ ही वे अपनी उपस्थिति वाली जगहों पर रह रहे लोगों पर अपने प्रभाव को फिर से स्थापित करना चाहते थे।
रिपोर्टों में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान खींचने और अपने कैडरों का हौसला बढ़ाने के लिहाज से अधिक से अधिक फायदा हासिल करने की कोशिश में माओवादी अब बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की कोशिश करेंगे और शहरी इलाकों में आसानी से शिकार बनाये जा सकने वाले लोगों को निशाने पर लेंगे।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि माओवादियों की निराशा का अंदाजा उनके शीर्ष नेताओं के बीच हुई बातचीत को सुनकर लगाया जा सकता है। सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के कुछ शीर्ष नेताओं के बीच होने वाली बातचीत सुनी है जो छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा के घने जंगलों में छिपे हुए हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई एक दीर्घकालिक लक्ष्य है और इसके लिए अर्धसैनिक बलों के 27 हजार जवानों की और जरूरत पड़ेगी।
बस्तर (छत्तीसगढ़), मल्कानगिरि, कोरापुट (ओडिशा) और लातेहर (झारखंड) में नक्सलियों के प्रभाव वाले इलाकों से उनके सफाए में कम से कम दो से तीन साल लगेगा। इस समय नक्सल विरोधी अभियानों में अर्धसैनिक बलों के 82 हजार जवान तैनात हैं। इसके अलावा राज्य पुलिस बलों के जवान भी इन अभियानों में शामिल होते हैं।
सूत्रों ने कहा कि मध्य और पूर्वी भारत में कई इलाके हैं, जहां प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं है और पुलिस भी अत्यंत कम संख्या में तैनात है। माओवादी इसी स्थिति का फायदा उठा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि बस्तर क्षेत्र में, जो केरल राज्य के बराबर क्षेत्रफल वाला है, केवल 18 हजार सुरक्षा जवान तैनात हैं जो नाकाफी है।
सुरक्षा बल कोबरा और आंध्र प्रदेश के ग्रेहाउण्ड्स जैसे विशिष्ट बलों को शामिल कर नक्सलियों के खिलाफ निर्णायक अभियान की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में खुफिया जानकारी पर आधारित अभियान निकट भविष्य में हो सकते हैं। नई रणनीति के तहत छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में मानवरहित हवाई यान (यूएवी) की मदद से पहले तलाशी अभियान चलाया जाएगा और फिर विशेष बलों सहित सुरक्षा बलों का उपयोग कर कई स्थानों से हमला बोला जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि नई रणनीति के तहत पहले नक्सलियों के नियंत्रण वाले इलाके पर कब्जा किया जाएगा और फिर वहीं से सुरक्षाबलों का अभियान संचालित किया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 29, 2013, 21:28