Last Updated: Friday, April 6, 2012, 10:32
नई दिल्ली : केंद्र
सरकार ओडिशा में बंधकों की स्थिति पर चौकस नजर बनाए हुए है और माना जाता है कि वह अपहृत विधायक और एक इतालवी टूर गाइड के साथ कैदियों की अदला बदली के खिलाफ है। गृह मंत्रालय इस मामले पर माओवादियों और ओडिशा सरकार के बीच चल रही बातचीत में किसी तरह से शामिल नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने उससे सहायता नहीं मांगी है, लेकिन वह राज्य सरकार के साथ निरंतर संपर्क बनाए हुए है।
मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि ओडिशा सरकार के नक्सलवादियों के खिलाफ कड़े कदम न उठा पाने के कारण उग्रवादी अपने कार्यकर्ताओं और हमदर्दों को जेल से छुड़ाने के लिए प्रमुख लोगों का अपहरण कर रहे हैं। भुवनेश्वर से मिली खबरों के अनुसार ओडिशा सरकार ने बीजद के विधायक झीना हिकाका और इतालवी पाउलो बोसुस्को की रिहाई के बदले में जेल में बंद 27 कैदियों को रिहा करने का फैसला किया है। इन दोनो को दो अलग अलग नक्सली गिरोहों ने बंधक बनाया है।
एक अधिकारी ने कहा कि माओवादी इस तथ्य का पूरा फायदा उठा रहे हैं कि नवीन पटनायक सरकार दबाव के सामने आसानी से घुटने टेक देती है और अपहरण के जरिए किसी को जेल से रिहा करा लेना ओडिशा में बहुत आसान है। नक्सलवादियों ने जब पिछले वर्ष मलकानगिरी के कलक्टर आर वीनल कृष्ण को एक जूनियर इंजीनियर के साथ अगवा किया था तो ओडिशा सरकार बागियों की 14 मांगें मानने को तैयार हो गई थी। इसमें सीपीआई (माओवादी) के शीर्ष नेताओं प्रसादम, पदमा और एस्वारी के खिलाफ मामले वापिस लेने की मांग भी शामिल थी ताकि इन्हें जेलों से रिहा किया जा सके।
ओडिशा में केंद्रीय सुरक्षा बलों की की पर्याप्त तैनाती के बावजूद राज्य सरकार ने माओवादियों के खिलाफ शायद ही कोई व्यापक अभियान चलाया हो। यही वजह है कि माओवादी राज्य के कई भागों में खुले घूम रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि समय आ गया है कि ओडिशा सरकार नक्सलवादियों के खिलाफ उठ खड़ी हो और सख्त कदम उठाए, अन्यथा उसे एक बार फिर उनकी मांगों के सामने घुटने टेकने होंगे।
(एजेंसी)
First Published: Friday, April 6, 2012, 18:02