Last Updated: Tuesday, October 9, 2012, 20:42

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज स्पष्ट किया कि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच के लिए केन्द्रीय जांच ब्यूरो स्वतंत्र है।
न्यायालय ने मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला रद्द करने के शीर्ष अदालत के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर केन्द्र सरकार, जांच ब्यूरो और बसपा सुप्रीमो से जवाब तलब किये हैं।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने इसके साथ ही स्पष्ट किया है कि वह आय से अधिक संपत्ति का मामला निरस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर छह जुलाई की अपनी व्यवस्था को स्पष्ट करेंगे।
न्यायाधीशों ने खुले न्यायालय में सुनवाई के बाद कहा, हम केन्द्र सरकार, केन्द्रीय जांच ब्यूरो और मायावती को सिर्फ स्पष्टीकरण के लिए नोटिस जारी कर रहे हैं। न्यायाधीशों ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच के लिए स्वतंत्र है और वह इसके लिए सरकार से संपर्क कर सकता है।
न्यायाधीशों ने कहा, हमने यह कभी नहीं कहा कि केन्द्रीय जांच ब्यूरो को जांच का अधिकार नहीं है। वह ऐसा कर सकता है लेकिन उसे इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि आय से अधिक संपत्ति का मामला निरस्त करने का निर्णय किसी को संरक्षण प्रदान करने के लिए नहीं है।
यह पुनर्विचार याचिका उत्तर प्रदेश निवासी कमलेश वर्मा ने दायर की है जिन्हें आय से अधिक संपत्ति का मामला निरस्त करने के लिए मायावती की याचिका में हस्तक्षेप की अनुमति न्यायालय ने दी थी। कमलेश वर्मा ने छह जुलाई के निर्णय पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए दलील दी थी कि शीर्ष अदालत ने मायावती के खिलाफ जांच ब्यूरो द्वारा एकत्र किये गए सबूतों की सराहना किये बगैर ही तकनीकी आधार पर इस मामले का निबटारा कर दिया था।
उच्चतम न्यायालय ने बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती को बड़ी राहत देते हुए छह जुलाई को उनके खिलाफ नौ साल से लंबित आय से अधिक संपत्ति का मामला निरस्त करने के साथ ही केन्द्रीय जांच ब्यूरो को भी आड़े हाथ लिया था। न्यायालय ने कहा था कि मायावती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बारे में किसी निर्देश के बगैर ही जांच ब्यूरो ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ऐसा किया था।
न्यायालय ने यह भी कहा था कि मायावती के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला ‘अनावश्यक’ था और जांच ब्यूरो ने उसके आदेशों को ठीक तरीके से समझे बगैर ही बसपा सुप्रीमो के खिलाफ कार्यवाही की थी। न्यायालय ने यह भी कहा था कि उसके आदेश ताज गलियारा प्रकरण में बगैर मंजूरी के ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कथित रूप से 17 करोड़ रुपए का भुगतान करने के मामले तक ही सीमित थे। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 9, 2012, 16:35