Last Updated: Sunday, December 2, 2012, 17:40
नई दिल्ली : मालदीव द्वारा जीएमआर का हवाई अड्डे ठेका रद्द किए जाने की पृष्ठभूमि में सरकार ने उस देश के साथ समग्र संबंधों की उच्चतम स्तर पर समीक्षा की है। इसके साथ ही भारतीय हितों को ‘सीधे तौर पर’ नुकसान पहुंचाने वाले भारत विरोधी धारणा के मद्देनजर विभिन्न विकल्पों पर विचार-विमर्श किया गया।
सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में ठेका रद्द किए जाने से जुड़े घटनाक्रम और उसके संभावित व्यापक नतीजों पर विचार किया गया।
बैठक में कहा गया है कि मालदीव में एक छोटे वर्ग में भारत विरोधी धारणा है लेकिन ऐसे लोग सरकार में भी हैं।
सूत्रों ने बताया कि इसके मद्देनजर भारत इस संभावना से इंकार नहीं कर रहा है कि उसके हितों को ‘सीधे तौर पर’ नुकसान पहुंच सकता है। इसमें भारतीय नागरिकों या संपत्ति को निशाना बनाए जाने की आशंका है।
इसमें कहा गया है कि कानून का शासन कमजोर है और भारत को उसी हिसाब से किसी आकस्मिक स्थिति के लिए तैयार रहना होगा।
सूत्रों ने बताया कि स्थिति के मद्देनजर विभिन्न विकल्पों पर विचार किया गया। इनमें भारतीय हितों की रक्षा के लिए सख्त उपाय जैसे कदम शामिल हैं। हालांकि मौजूदा स्थिति को राजनयिक तरीके से हल किए जाने पर जोर दिया गया।
मालदीव की सरकार ने भारत को आश्वासन दिया है कि भारतीय हितों की रक्षा की जाएगी। सूत्रों ने हालांकि आगे कहा कि एक छोटे समूह में भारत विरोधी धारणा होने के मद्देनजर‘किसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।’
सूत्रों ने बताया कि जीएमआर विवाद के संबंध में बैठक में फैसला किया गया कि मौजूदा कानूनी प्रक्रिया के नतीजे की प्रतीक्षा की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि जीएमआर के ठेके को रद्द किए जाने से जुड़े मामले की कल सिंगापुर की एक अदालत में सुनवाई होगी। सिंगापुर में कानूनी कार्रवाई संबंधी विकल्प ठेका संबंधी करार में दिया गया है जिस पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए हैं।
भारत मालदीव की वहीद सरकार से इस बात को लेकर अप्रसन्न है कि उसने वैसा आचरण नहीं किया जैसा उससे उम्मीद थी या जिस प्रकार पिछले कई दशक में भारत ने उस देश की मदद की है। व्यापक मदद देने के अलावा भारत ने 1986 में हुए विद्रोह को नाकाम करने में भी अहम भूमिका निभाई थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, December 2, 2012, 17:40