Last Updated: Saturday, December 29, 2012, 19:13
नई दिल्ली : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मालेगांव बम विस्फोट मामले में शनिवार को पहली गिरफ्तारी की। यह घटना 2006 में हुई थी। 2011 में स्वामी असीमानंद की गिरफ्तारी के बाद दक्षिणपंथी समूहों की भूमिका इस मामले में होने की जानकारी मिली थी।
एनआईए के अधिकारियों ने मोहन नामक व्यक्ति को पकडा है, जिस पर सांप्रदायिक रूप से काफी संवेदनशील महाराष्ट्र के मालेगांव में आठ सितंबर 2006 को विस्फोटक रख आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। विस्फोट की इस घटना में 35 लोग मारे गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि मोहन को मध्य प्रदेश में इंदौर जिले के हतोड इलाके से गिरफ्तार किया गया। उसे ट्रांजिट रिमांड पर मुंबई ले जाया जा रहा है, जहां उसे अदालत में पेश किया जाएगा।
एनआईए को राजेश चौधरी से पूछताछ के बाद मोहन के बारे में पता चला। चौधरी समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में कथित रूप से विस्फोटक रखने वाला व्यक्ति था। उसके मालेगांव विस्फोट में भी शामिल होने का संदेह है।
मालेगांव विस्फोट मामले में मोहन का पकडा जाना इस मामले में पहली गिरफ्तारी है। इससे मुंबई पुलिस की आतंकवाद रोधी इकाई और केन्द्रीय जांच ब्यूरो को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है, जिन्होंने घटना के बाद नौ मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार कर लिया था।
पकड़े गए नौ युवक लगभग पांच साल बाद जेल से बाहर तब आ सके, जब यह तय हो गया कि उनकी जमानत याचिका का विरोध नहीं किया जाएगा।
मालेगांव विस्फोट जैसे आतंकवादी मामलों में जांच में उस समय नया मोड़ आया, जब दक्षिणपंथी समूह अभिनव भारत के सदस्य स्वामी असीमानंद ने एक मजिस्ट्रेट के सामने अपने इकबालिया बयान में कबूल किया कि मालेगांव विस्फोट की साजिश एक हिन्दू समूह ने रची थी।
असीमानंद उर्फ जतिन चटर्जी ने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता सुनील जोशी और अन्य लोग मालेगांव विस्फोट के लिए जिम्मेदार थे। विस्फोट जब हुआ, उस दिन शब-ए-बारात थी। इसे मुस्लिमों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
मालेगांव में ही 2008 में एक और आतंकी हमला हुआ, जिसे दक्षिणपंथी हिन्दू समूहों ने कथित रूप से अंजाम दिया। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। (एजेंसी)
First Published: Saturday, December 29, 2012, 19:13