Last Updated: Monday, September 17, 2012, 12:49

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली/रांची : क्या किसी राज्य का मुख्यमंत्री अपने अधिकार दायरे बाहर जाकर किसी कंपनी को जमीन पर कब्जे दिलवाने में, प्रोजेक्ट को शिफ्ट करने में मदद और 212 मिलियन टन कोल ब्लॉक रिजर्व के आवंटन में मदद कर सकता है? संभवत: झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इन सभी बातों में मदद पहुंचाया।
ताजा आरोप यह है कि अर्जुन मुंडा ने मनोज जायसवाल की कंपनी को झारखंड में जमीन पर अवैध कब्जे करने में मदद पहुंचाया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंडा ने कोयला आवंटन और लोन धांधली में घिरे अभिजीत समूह को काफी मदद पहुंचाया। उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र खरसवा-सराईकेला में इस समूह को 2.5 मिलियन टन सालाना क्षमता वाले एकीकृत स्टील प्लांट को स्थापित करवाने में मदद पहुंचाया। डीएनए की ओर से किए गए एक खोज में यह सामने आया है कि मुंडा ने न सिर्फ अमिजीत समूह की कंपनी कॉरपोरेट इस्पात एलॉय लिमिटेड (सीआईएएल) को कोल ब्लॉक आवंटित करने के लिए कोयला मंत्री को सिफारिश पत्र लिखा बल्कि बड़े पैमाने पर जमीन कब्जे में भी मदद किया।
सीआईएएल ने झारखंड के साथ 26 मार्च, 2004 को एक समझौता किया। इस समझौते के तहत 1335 करोड़ रुपये की लागत से लातेहार जिले में 0.75 एमटीपीए स्टील प्लांट को लगाया जाना है। मुंडा ने 20 अगस्त, 2004 को केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री दसारी नारायण राव को एक पत्र लिखा, जिसमें सिफारिश की गई कि सीआईएएल को उत्तरी करणपुरा में छित्तरपुर में कोयला ब्लॉक आवंटित कर दिया जाए। इस ब्लॉक में 212 मिलियट टन कोयला रिजर्व है।
डीएनए ने मुंडा की ओर से लिखे इस पत्र की पड़ताल की, जिसमें कहा गया है कि चूंकि सीआईएएल झारखंड के एक पिछड़े जिले में स्टील प्लांट लगा रही है, इसलिए राज्य सरकार इस बात की सिफारिश करती है कि छित्तरपुर कोयला ब्लॉक इसी कंपनी को आवंटित कर दिया जाए। इसके बाद पांच सितंबर, 2005 को कोयला मंत्रालय ने सीआईएएल को इस ब्लॉक का आवंटन कर दिया।
उधर, भाजपा ने कहा है कि कोयला ब्लाक आवंटन में कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के जिन नेताओं के संबंधियों को लाभ मिला उनमें सुबोध कांत सहाय, विजय दर्डा और उनके भाई राजेन्द्र दर्डा, मनोज जायसवाल, प्रेम कुमार गुप्ता, एस जगतरक्षण, नवीन जिंदल और मुधु कोडा शामिल हैं। रविशंकर प्रसाद ने कटाक्ष किया कि यह आश्चर्यजनक है कि संप्रग में किसी के मंत्री बनने के बाद ही उसके भाई या संबंधी की उद्यमशीलता अचानक जाग जाती है।
उन्होंने कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल से इस बात का स्पष्टीकरण देने को कहा कि उनके मनोज जायसवाल से क्या संबंध हैं। प्रसाद ने कहा कि मनोज जायसवाल को 20,000 करोड़ रुपयों का बड़ा ऋण दिया गया। हम यह जानना चाहेंगे कि क्या 2008 में वह मनोज जायसवाल मामले में मध्यस्थ बने थे। अगर हां, तो किस हैसियत से? वह तो तब गृह राज्य मंत्री थे। अगर वह मनोज से अजनबी थे तो उनके मध्यस्थ कैसे बन गए।? गौरतलब है कि मनोज जायसवाल अभिजीत ग्रुप में शामिल हैं, जिससे दर्डा बंधुओं के भी संबंध हैं। (डीएनए)
First Published: Monday, September 17, 2012, 12:41