Last Updated: Saturday, August 3, 2013, 00:39

नई दिल्ली : पिछले आम चुनावों में करीब आठ करोड़ रूपए खर्च करने का दावा करने के बाद विवादों में घिरे लोकसभा में भाजपा के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने आज चुनाव आयोग से कहा कि उनका बयान सिर्फ शब्दजाल था और इसमें कोई खास बात नहीं थी।
महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम में अपनी टिप्पणी को लेकर चुनाव आयोग के अयोग्यता संबंधी नोटिस के जवाब में मुंडे ने कहा कि उनके बयान को भाषण के तौर पर लिया जाना चाहिए जिसमें अलंकार और शब्दजाल था।
मुंडे ने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने अपने चुनाव में आठ करोड़ रूपए खर्च किए जो निर्धारित सीमा से काफी अधिक राशि है। उन्होंने कहा कि एक पुस्तक विमोचन समारोह में दिया गया उनका बयान महाराष्ट्र में उनकी पार्टी द्वारा सभी संसदीय सीटों पर खर्च की गयी राशि के संबंध में था।
भाजपा नेता ने दावा किया कि इस भारी खर्च में कटौती किए जाने की जरूरत है और मांग की कि यह व्यय राज्य की ओर से किया जाना चाहिए ताकि खर्च पर काबू पाया जा सके। इसके साथ ही चुनावों में काले धन के इस्तेमान की संभावना होती है।
उन्होंने चुनाव आयोग को सौंपे अपने जवाब में कहा कि उनके भाषण को उसी संदर्भ में लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाषण देने के समय उनके मन में भ्रष्टाचार का मुद्दा था। उन्होंेने कहा कि इसके बाद राजनीतिक दलों की जवाबदेही पर सार्वजनिक चर्चा होनी चाहिए थी जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया की घटक हैं।
मुंडे ने कहा कि पूरे भाषण को संपूर्णता में देखा जाना चाहिए। उनके भाषण का सार तत्व चुनाव सुधार था। इसके साथ ही चुनाव प्रक्रिया के पहले तथा बाद में धन बल की भूमिका का मुद्दा था। उन्होंने कहा कि वह निजी रूप से या किसी अन्य उम्मीदवार द्वारा किए गए व्यय का जिक्र नहीं कर रहे थे। उन्होंने आम बयान दिया था जिनमें चुनावी प्रक्रिया के दौरान उम्मीदवार के तौर पर किए गए खर्च के ब्यौरे का जिक्र नहीं था। मुंडे ने जून में कथित बयान में कहा था कि उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव में आठ करोड़ रूपए खर्च किए थे।
इसके बाद चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस जारी किया था। उन्होंने आज ऐसा कोई बयान देने से इंकार किया और दावा किया कि उनके भाषण को उचित संदर्भ में पढ़ा जाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Saturday, August 3, 2013, 00:39