Last Updated: Tuesday, February 5, 2013, 16:55
नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को गुजरात, तमिलनाडु और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यसचिवों की अदालत में अनुपस्थिति पर घोर नाराजागी जताई। तीनों राज्यों के मुख्यसचिवों को, लापता बच्चों पर यथास्थिति रपट सौंपने के लिए जारी एक नोटिस का जवाब देने में विफल रहने का कारण स्पष्ट करने के लिए अदालत में उपस्थिति होने के लिए कहा गया था।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर ने तीनों मुख्यसचिवों द्वारा न्यायालय के निर्देश का उल्लंघन करने पर सख्त नाराजगी जताई। नाराज न्यालय ने पूछा कि क्या तीनों को पेश होने के लिए उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी करने पड़ेंगे। न्यायमूर्ति कबीर ने सम्बंधित राज्यों की तरफ से पेश हुए वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि आप क्या समझते हैं कि हम सिर्फ आदेश पारित करने के लिए आदेश पारित करते हैं।
गैर सरकारी संगठन, बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता, एच. एस. फुल्का ने न्यायालय को बताया कि हर दिन लापता होने वाले 100 बच्चों के बारे में पता नहीं चल पाता। इस पर न्यायमूर्ति कबीर ने कहा कि लगता है कि लापता बच्चों की पीड़ा की चिंता किसी को नहीं है। यह हास्यस्पद है। न्यायालय ने तीनों मुख्यसचिवों को 19 फरवरी को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति होने का निर्देश दिया और गृह मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा सामाजिक न्याय मंत्रालय को याचिका के जवाब में हलफनाम दायर करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने 17 जनवरी के अपने आदेश में गुजरात, तमिलनाडु, अरुणाचल प्रदेश, गोवा और ओडिशा के मुख्यसचिवों को निर्देश दिया था कि वे लापता बच्चों पर दायर एक जनहित याचिका पर न्यायालय द्वारा जारी नोटिस का जवाब देने में विफल रहने का कारण स्पष्ट करने के लिए न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर पेश हों। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 5, 2013, 16:55