मेट्रो पार्किंग में गाड़ी चोरी हुई तो सब गोल-माल

मेट्रो पार्किंग में गाड़ी चोरी हुई तो सब गोल-माल

मेट्रो पार्किंग में गाड़ी चोरी हुई तो सब गोल-मालक्राइम रिपोर्टर को जानकारी मिली की गाज़ियाबाद के कौशबम्बी मेट्रो स्टेशन से एक शख्स की कार मेट्रो की पार्किंग से चोरी हो गई है, और वो लंबे वक्त से अपनी कार की चोरी की सीसीटीवी फुटेज पाने के लिए डीएमआरसी के चक्कर लगा रहा है। उसने पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवा रखी है, लेकिन जब क्राइम रिपोर्टर के साथ वो शख्स दिल्ली मेट्रो के दफ्तर पहुंचा तो डीएमआरसी के अधिकारियों की बात सुन हम भी हैरान हो गए।

अधिकारी ने उसे कहा कि आपके पास दो विकल्प हैं या तो अपनी कार चोरी की पुलिस शिकायत वापस ले लो अगर ऐसा करोगे तो हम पार्किंग कॉन्ट्रेक्टर से आपको कार का मुआवाज़ा दिलवा देंगे वरना आप पुलिस के रास्ते आईये अगर सीसीटीवी फुटेज़ मिलेगी तो हम पुलिस को दे देंगे, वरना नहीं। हम ने उनसे ये भी कहा कि चोरी होने के फौरन बाद स्टेशन मास्टर को इस बात की सूचना दे दी थी और पुलिस के साथ भी जाकर सीसीटीवी फुटेज को पाने के लिए रिक्वेस्ट की थी।

भरत बंसलः सर आपके पास एक केस आया होगा गाड़ी चोरी का
DMRC अधिकारी: जी
भरत बंसलः मुझे उसके बारे में पता करना है, एक महीना हो चुका है कंप्लेन किए हुए अभी तक क्या प्रोग्रेस है, अभी तक कुछ नहीं हुआ है, पुलिस वालों ने जो हमारा इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर है उन्होंने इन्वेस्टिगेशन के लिए CCTV फुटेज़ मांगी थी, लेकिन 20-22 दिन हो चुके हैं अभी तक हमारे I.O.(इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर) को CCTV फुटेज़ नहीं मिली है।
DMRC अधिकारी: मांगी कब थी ?
भरत बंसलः जी 19 अगस्त को
DMRC अधिकारी: CCTV फुटेज 72 घंटे रहती है हमारे पास, उसके बीच में आ गया होगा तब तो मिल जाएगा
भरत बंसलः स्टेशन मास्टर हैं अरविन्द, उन्होंने तुरंत SAVE करवा दिया था।
DMRC अधिकारी: मिली नहीं फुटेज अभी ?
भरत बंसलः नहीं
DMRC अधिकारी: पुलिस ने आपको अभी कोई रिपोर्ट नहीं दी ?
भरत बंसलः नहीं
DMRC अधिकारी: आपने इंश्योरेंस क्लेम किया है ?
भरत बंसलः अभी इंश्योरेंस क्लेम नहीं हो सकता है क्योंकि इन्वेस्टिगेशन कंप्लीट नहीं हो पाई है। पुलिस ने अरविन्द (स्टेशन मास्टर) को लिखित में दिया है कि उन्हें CCTV फुटेज दी जाए, लेकिन 22-23 दिन हो गए, अभी तक नहीं दी।
DMRC अधिकारी: किसको दिया था ?
भरत बंसलःअरविन्द को(स्टेशन मास्टर को)
DMRC अधिकारी: देखिए दो रूट हैं आपके पास, एक रूट है कि हम पार्किंग कॉन्ट्रैक्टर से आपको मुआवजा दिलाएं, लेकिन उसमें आपको पुलिस केस वापस लेना होगा।

DMRC के डायरेक्टर स्तर के अधिकारी ने कार चोरी की CCTV फुटेज मांगने गए पीड़ित को एफआईआर वापस लेने की सलाह क्यों दी? क्या अधिकारी जानते हैं कि एफआईआर वापस लेने पर क्या हो सकता है, अगर चोरी हो चुकी गाड़ी किसी आतंकी गतिविधि में इस्तेमाल हो गई तो क्या DMRC के अधिकारी इसकी ज़िम्मेदारी लेंगे? लेकिन इस बात की किसी को परवाह नहीं है। जब हमने कानून के रास्ते सीसीटीवी फुटेज मांगने और पुलिस के ज़रिए इन्वेस्टिगेशन करवाने की बात पर जोर डाला तो अधिकारी ने हमें दूसरे अधिकारी के पास जाने को कहा।

DMRC अधिकारी: आप इनके साथ चले जाएं, ये संबंधित विभाग के डिप्टी जनरल मैनेजर हैं, ये देखेंगे कि CCTV फुटेज़ है और बताएंगे अगर है तो ये आपको दे देंगे, अगर नहीं तो नहीं मिलेगा, ठीक है ?
डीएमआरसी के अधिकारियों का रवैया सुन हम दंग थे, लेकिन आम आदमी के पास ऐसे हालात में कोई और चारा भी तो नहीं रहता, डिप्टी जनरल मैनेजर ऑपरेशन्स ने हमें गोलमाल जवाब देना शुरु कर दिया।

DMRC अधिकारी: अगर होगी तो 2 दिन के अंदर हम पुलिस को भिजवा देंगे, आपको तो नहीं ही देंगे, जिस थाने में केस दर्ज हुआ है वहां भिजवा देंगे।

कार चोरी के शिकार भरत बंसल पहले ही साफ कर चुके थे कि उन्होंने 19 अगस्त को ही सीसीटीवी फुटेज़ सेव करने की गुज़ारिश करवा दी थी। जिसके बाद डीएमआरसी के अधिकारी ने स्टेशन मास्टर को फोन मिला दिया।

DMRC अधिकारी: कौशंबी में एक गाड़ी चोरी हुई थी, उसका CCTV फुटेज़ Save करवाए थे? तो तुम इन लोगों को कैसे बताए कि save हो गया। हमको बताया जा रहा है कि वो save नहीं हुआ है।

DMRC के अधिकारी की बातें हमारे भी गले नहीं उतर रही थी। आखिर कैसे वो स्टेशन मास्टर को ही दोष दे रहा है, लेकिन हम पुलिस के साथ भी रिक्वेस्ट करने आए थे, हमने ये भी सुबूत दिया कि हमारे पास रिसीविंग भी है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब भरत बंसल के पास खाली हाथ लौटने के अलावा और कोई चारा नहीं था। कहीं ऐसा तो नहीं है कि सीसीटीवी फुटेज़ के बारे में किया गया पूरा तामझाम पार्किंग कॉन्ट्रैक्टर को बचाने के लिए ही था।

इसके बाद हमने कौशम्बी मेट्रो स्टेशन के उस स्टेशन मास्टर से मुलाक़ात की जिसके यहां की पार्किंग से गाड़ी चोरी हुई थी। उस स्टेशन मास्टर ने साफ कह दिया कि आपकी कार पार्किंग से चोरी हुई। उसे मैंने सीसीटीवी में देखा और पाया कि चोर ने पहले पार्किंग कॉन्ट्रेक्टर से बात की और फिर उसी से चाभी लेकर फ़रार हो गया। लेकिन उसने भी इस बात का जवाब देने से इनकार कर दिया कि अब क्या सीसीटीवी फुटेज मौजूद है या नहीं?

क्राइम रिपोर्टर की इस तफ़्तीश के बाद सवाल उठने लाजमी हैं कि क्या सीसीटीवी कैमरों पर करोड़ों का खर्च सिर्फ़ इसलिए किया गया था कि अगर किसी शक्स की गाड़ी चोरी हो जाए तो उसे इस तरह से डीएमआरसी के चक्कर लगाने पड़े। सवाल बड़ा है, सवाल तो ये भी है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि पार्किंग कॉन्ट्रेक्टर या कार चोर को बचाने के लिए डीएमआरसी एक आम आदमी को इस तरह से चक्कर लगवा रही है, उसे केस वापस लेने की सलाह दे रही है। क्या होगा अगर वो कार कल किसी आतंकी गतिविधि में इस्तेमाल हो गई? सवाल उस आदमी के लिए बड़ा है, जिसकी कार चोरी हुई है, लेकिन सवाल तो ये भी है कि क्य डीएमआरसी के अधिकारियों ने कभी उस आम आदमी के बारे में सोचा भी।

First Published: Tuesday, September 24, 2013, 23:11

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