Last Updated: Monday, May 14, 2012, 11:15
नई दिल्ली: एयरसेल और किसी भी अन्य दूरसंचार कम्पनी से अपने या अपने परिवार का सम्बंध होने से इंकार करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को कहा कि मेरी ईमानदारी पर सवाल खड़े करने से बेहतर है कि मेरे हृदय में खंजर घोंप दीजिए। वह राज्यसभा में उस आरोप का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि 2006 में दूरसंचार सेवा कारोबार शुरू करने के एयरसेल के प्रस्ताव को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से अनुमति मिलने से पहले उनके बेटे की कम्पनी को पैसे हस्तांतरित किए गए थे।
चिदम्बरम तब केंद्रीय वित्त मंत्री थे। उन्होंने कहा कि उनके पारिवारिक सदस्यों से सम्बंधित किसी भी कम्पनी में कोई अवैध हस्तांतरण नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि किसी भी दूरसंचार कम्पनी में मेरी या मेरे परिवार के किसी सदस्य की कोई हिस्सेदारी नहीं है।
राज्यसभा में यह मुद्दा विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने उठाया था। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन उन्होंने कहा कि ऑक्सब्रिज को एयरसेल से पैसे मिले थे।
मुद्दे पर अधिक जानकारी की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि एयरसेल में हिस्सेदारी खरीदने वाली मलेशिया की कम्पनी मैक्सिस ने मलेशियन स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया था कि उसने एयरसेल में 99 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी खरीदी है।
लेकिन भारतीय नीति दूरसंचार कम्पनियों में 74 फीसदी से अधिक विदेशी निवेश की इजाजत नहीं देती है। पैसे कथित तौर पर एयरसेल प्रमुख सी शिवशंकरण ने एयरसेल-मैक्सिस सौदे को एफआईसीबी मंजूरी की पूर्व संध्या पर हस्तांतरित किए थे।
गृह मंत्री ने हालांकि कहा कि उनके परिवार को ऑक्सब्रिज से कोई सम्बंध नहीं था। उन्होंने कहा कि यह सच है कि मेरे पुत्र की एडवांटेज कंसल्टेंसी में हिस्सेदारी थी। लेकिन एक युवक को कारोबार शुरू करने का पूरा हक है। उसने कम्पनी में 1.8 लाख रुपये का निवेश किया था, जिसमें एक अन्य हिस्सेदार था-राजेश।
उन्होंने हालांकि कहा कि कार्ती ने अपनी हिस्सेदारी अपने दोस्त को बेच दी थी और अब कम्पनी में उसकी कोई हिस्सेदारी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2006 के एयरसेल-मैक्सिस सौदे को मंजूरी से काफी समय बाद एडवांटेज ने 2011 में ऑक्सब्रिज में हिस्सेदारी ली थी।
विपक्ष के नेता ने यह सवाल उठाया कि ऑक्सब्रिज और एडवांटेज का ईमेल पता 2006 में एक ही कैसे था। चिदम्बरम ने कहा कि उन्हें पता नहीं कि दोनों इंटरनेट पता समान था।
उन्होंने कहा कि मैं इनकार नहीं करता हूं कि ऑक्सब्रिज और एडवांटेज के मालिक एक-दूसरे को जानते थे। सभी चेन्नई में कारोबार करते हैं।
उन्होंने कहा कि मलेशिया की कम्पनी ने यदि किसी देश को गलत सूचना दी थी, तो वित्त मंत्रालय इसकी तहकीकात कर सकता है। लेकिन एफआईपीबी ने 2006 में 74 फीसदी से कम हिस्सेदारी के लिए मंजूरी दी थी। उन्होंने मंजूरी में देरी के आरोप को भी खारिज किया।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 15, 2012, 09:57