Last Updated: Wednesday, October 5, 2011, 12:32
मुंबई : अन्ना हज़ारे का मानना है कि उनके कांग्रेस विरोधी रुख और सभी दलों से ‘अच्छे लोगों’ को चुनने की जनता से अपील में कोई वैचारिक असमंजस नहीं है. गांधीवादी कार्यकर्ता को इस बात का भी खेद नहीं है कि उनकी कांग्रेस विरोधी टिप्पणियों से भाजपा को लाभ मिल जाएगा. अन्ना ने मंगलवार को घोषणा की थी कि यदि संसद के शीतकालीन सत्र में जनलोकपाल बिल पास नहीं हुआ तो वह पांच राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलाएंगे.
बुधवार को एक मराठी समाचार चैनल से परिचर्चा में अन्ना ने कहा, मेरे रुख में कोई वैचारिक असमंजस नहीं है. अगर यह असमंजस है तो फिर पी. चिदंबरम और प्रणव मुखर्जी के बीच जो हुआ था, वह क्या था. वह किस तरह असमंजस था?’ उनसे पूछा गया था कि क्या एक तरफ उनके कांग्रेस विरोधी रुख और दूसरी तरफ सभी दलों से ‘अच्छे लोगों’ को निर्वाचित करने की उनकी अपील के पीछे कोई विरोधाभास नहीं है.
अन्ना ने सवाल किया, ‘दोनों मंत्रियों के बीच जो दिख रहा था वह क्या ‘शीत युद्ध’ था? क्या वह सब विचाराधारा को लेकर था? देश को इससे क्या प्रेरणा लेनी चाहिए? क्या यही उनका वैचारिक स्तर है?’ अन्ना ने कहा, ‘कांग्रेस में मौजूद अच्छे लोगों को पूरे तालाब को गंदा कर रही दो-तीन मछलियों को हटा देना चाहिए. इसके बाद ही लोगों को उनकी अच्छी छवि दिखाई देगी.’
इस सवाल पर कि क्या वह मानते हैं कि उनके कांग्रेस विरोधी रुख से भाजपा को फायदा मिल सकता है, गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा, ‘आप किसी और को फायदा उठाने का मौका क्यों देते हैं? अगर आप समय पर विधेयक लाएंगे तो दूसरों को फायदा नहीं मिलेगा. लिहाजा, मुझ पर दोष मढ़ने का कोई तुक नहीं है.
अन्ना ने कहा, ‘हमें दलों में यकीन नहीं हैं. आप बताइये कि कौन सी पार्टी साफ-सुथरी है? सभी भ्रष्टाचार में डूबे हैं. इन दलों के साथ कोई भविष्य नहीं है. अब एकमात्र विकल्प यही है कि सभी दलों से अच्छे लोग आगे आएं और नई पार्टी बनाएं.’ यह पूछने पर कि क्या कांग्रेस ‘निगरगट्ट’ (मोटी चमड़ी वाली) बन गई है, अन्ना ने कहा, ‘आप ऐसा कह सकते हैं क्योंकि अगर उनमें इच्छाशक्ति होती तो वह अभी कानून बना लेते. कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि वह ‘निगरगट्ट’ बन गए हैं. अगर उन्हें समाज और देश की परवाह होती तो वह कानून बनाने में देरी नहीं करते.’
क्या वह सरकार को बार-बार अल्टीमेटम देकर अस्थिरता पैदा करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, गांधीवादी कार्यकर्ता ने कहा, ‘अगर मैं ऐसा नहीं करता तो हमारे सामने महाराष्ट्र में सात अलग-अलग कानून नहीं बनते और राज्य के छह (भ्रष्ट) मंत्रियों को पद छोड़ने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ता.’ ऐसा नहीं है कि मुझे आंदोलन करने का शौक है, लेकिन मैं देश के लिए लड़ रहा हूं.’ इस सवाल पर कि क्या वह जनता से कांग्रेस को वोट नहीं देने को कह कर राजनीति नहीं कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि लोग जो कहना चाहते हैं, उन्हें कहने दीजिये. सभी जानते हैं कि भ्रष्टाचार जमीनी स्तर तक पहुंच चुका है. हम सिर्फ जनलोकपाल विधेयक पारित कराने के लिए प्रयासरत हैं.
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 5, 2011, 18:05