मॉनसून सत्र में हंगामे से 117 करोड़ पानी में

मॉनसून सत्र में हंगामे से 117 करोड़ पानी में

मॉनसून सत्र में हंगामे से 117 करोड़ पानी मेंनई दिल्ली : संसद के पिछले दिनों संपन्न मानसून सत्र में लगातार 13 दिन तक हंगामे के कारण जनता की 117 करोड़ रुपए की खून-पसीने की गाढ़ी कमाई पर पानी फेर दिया गया। इन 13 दिनों में संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन में न तो प्रश्नकाल चल सका और न ही कोई खास विधायी कामकाज ही निपटाया जा सका क्योंकि हंगामे के चलते लोकसभा का 77 एवं राज्यसभा का 72 फीसदी समय नष्ट हो गया।

लोकसभा सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, 8 अगस्त से शुरू होकर 7 सितंबर तक चलने वाले एक माह के संसद के मानसून सत्र में कुल 20 बैठकें होनी निर्धारित थीं, जिनमें से केवल छह दिन ही बैठकें हो सकीं। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने मानसून सत्र के कामकाज के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि एक वर्ष में सत्र के दौरान संसद लगभग 80 दिनों तक चलती है। प्रत्येक दिन दोनों सदनों में लगभग छह घंटे कार्य होता है। अगर हम संसद पर वार्षिक खर्च को जोड़ें तो संसद को चलाने पर प्रति मिनट ढाई लाख रुपए का खर्च आता है। इस प्रकार कुल 117 करोड़ रुपए की भारी धनराशि हंगामे की भेंट चढ़ गई।

केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख के निधन के कारण एक दिन की बैठक स्थगित कर दी गई, जबकि बाकी 13 दिन, कोल आवंटन मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग पर अड़ी भाजपा के हंगामे की भेंट चढ़ गए। लोकसभा सचिवालय सूत्रों ने भी बताया कि संसद की एक दिन की कार्यवाही पर करीब नौ करोड़ रुपए का खर्च आता है और सांसदों के हंगामे के कारण मानसून सत्र में लगातार 13 दिनों तक गतिरोध बने रहने के कारण करीब 117 करोड़ रुपए की भारी धनराशि स्वाहा हो गई।

संसद के दोनों सदनों और संसदीय कार्य मंत्रालय का वर्ष 2012-13 के लिए कुल बजट अनुमानत: 600 करोड़ रुपए है और एक साल में संसद तीन बार यानी बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र के लिए बैठती है। संसद का यह बजट न सिर्फ बैठकों के लिए निर्धारित होता है बल्कि इसमें लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों के सभी कर्मचारियों और अन्य संबंधित गतिविधियों पर आने वाला खर्च भी शामिल है।

संसदीय सचिवालय के साथ मिलकर संसदीय कामकाज का लेखा-जोखा रखने वाले गैर सरकारी संगठन पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार इस सत्र में विधायी कामकाज के नाम पर सरकार दोनों सदनों में केवल चार विधेयक ही पारित करवा पाई, जिनमें से दो विधेयक एम्स संशोधन विधेयक 2012, रासायनिक आयुध अभिसमय (संशोधन) विधेयक 2012 को संक्षिप्त चर्चा जबकि कार्यस्थलों पर महिलाओं के लैंगिंक उत्पीड़न से संरक्षण, पूर्वोत्तर क्षेत्र पुनर्गठन संशोधन विधेयक और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण संशोधन विधेयक को हंगामे के बीच ही बिना किसी चर्चा के पारित करा दिया गया। सरकार ने मानसून सत्र में 29 लंबित विधेयकों को चर्चा और पारित कराने तथा 15 नए विधेयक पेश कराने की योजना बनाई थी। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 9, 2012, 19:47

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