Last Updated: Wednesday, July 24, 2013, 18:59
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली : गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को यूएस वीजा नहीं दिए जाने के लिए भारत के 65 सांसदों द्वारा अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को लिखी गई चिट्ठी और चिट्ठी पर दस्तखत को लेकर विवाद और गहरा गया है। बुधवार को नौ सांसदों ने ऐसे किसी भी पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। खास बात यह है कि जिन सांसदों ने मोदी के खिलाफ पत्र में दस्तखत से मना किया है उनमें पांच सांसद कांग्रेस के हैं।
दूसरी तरफ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को वीजा नहीं देने संबंधी अमेरिका के राष्ट्रपति को कुछ सांसदों की ओर से लिखे पत्र में जाली हस्ताक्षर का विवाद उठने पर भाजपा के एक विधि निर्माता ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से इस ‘जालसाज़ी’ की जांच कराने की मांग की। झारखंड के लोहरदग्गा से लोकसभा सदस्य सुदर्शन भगत ने आज मीरा कुमार को लिखे पत्र में कहा है कि कुछ सदस्यों ने ओबामा को लिखे पत्र में हस्ताक्षर करने से इंकार किया है, इसलिए पूरे मामले की जांच कराई जाए। भगत ने कहा, ‘यह गंभीर मामला है और जालसाज़ी के समान है। मैंने लोकसभा अध्यक्ष से मांग की है कि वह मामले की निष्पक्ष जांच के आदेश दें और इस धोखाधड़ी के लिए जो जिम्मेदार हैं, उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए।’
केंद्र सरकार ने कहा है कि घरेलू मामलों में किसी बाहरी पक्ष का दखल उचित नहीं है। विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर ने कहा, हमें हमारे विवाद घर में ही सुलझाने चाहिए। इस मामले में सीताराम येचुरी पहले सांसद थे जिन्होंने इस पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना किया था। द्रमुक के रामलिंगम ने भी पत्र पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया। केरल से राज्यसभा सदस्य अच्युतन ने भी हस्ताक्षर से इंकार करते हुए कहा, ‘सच बताऊं तो ओबामा को पत्र लिखने के बारे में मुझे याद नहीं।’ एनसीपी सांसद वंदना चव्हाण व संजीव नायक, कांग्रेस सांसद एम कवासे, अनिल लाड व जयंत्रो अवले ने भी ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर करने की बात को गलत बताया है। कांग्रेस सांसद प्रदीप भट्टाचार्य व जॉय अब्राहम ने कहा कि उन्हें पत्र पर हस्ताक्षर करने के बारे में याद नहीं।
उधर, भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा कि कुछ सांसदों का ओबामा को पत्र लिखने की बात से इंकार करना साफ दर्शाता है कि यह ‘कांग्रेस के कुत्सित चाल विभाग’ का षड्यंत्र है। येचुरी ने कहा है कि ओबामा को भेजे गए पत्र पर उनके हस्ताक्षर ‘कट एंड पेस्ट’ का मामला लगता है। भाजपा की अन्य प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने ट्वीटर पर कहा, ‘मोदी से राजनीतिक रूप से नहीं निपट पाने पर अब क्या इसके लिए बाहरी मदद ली जा रही है? भारतीय राजनीतिक लड़ाई के लिए अमेरिका से थर्ड अंपायर?’
येचुरी ने यहां एक बयान में कहा, ‘मैं इस बात से साफ इंकार करता हूं कि मैंने ऐसे किसी पत्र पर हस्ताक्षर किया है। किसी एक देश की संप्रभुता के दायरे में आने वाले मुद्दे पर दूसरे किसी संप्रभु देश से कुछ कहना न तो मेरे चरित्र में है और न ही यह मेरी पार्टी माकपा का सिद्धांत है।’ माकपा नेता ने कहा, `एक सिद्धांत के तहत हम भारत के अंदरूनी मामले में, उसकी संप्रभुता को कमजोर करने वाले किसी भी बाहरी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करते हैं और उसकी निंदा करते हैं।`
ओबामा को लिखे इस पत्र में लोकसभा के 40 और राज्यसभा के 25 सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने पूरे मामले को खारिज करते हुए कहा, ‘यह निर्णय करना (मोदी को वीजा देना या नहीं देना) अमेरिका का काम है। हमारा इससे कुछ लेना देना नहीं है।’
उल्लेखनीय है कि मोदी को अमरीका पिछले कई साल से वीजा नहीं दे रहा है। गुजरात दंगों के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के चलते अमरीका ने यह बैन लगाया है। कुल 65 सांसदों ने ओबामा को 2012 में पत्र लिखा था। एक पत्र पर राज्यसभा के 25 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे जबकि दूसरे पर लोकसभा के 40 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे। ये पत्र 26 नवंबर और पांच दिसंबर 2012 को लिखे गए थे।
First Published: Wednesday, July 24, 2013, 18:48