Last Updated: Wednesday, October 17, 2012, 00:16
लंदन : ब्रिटेन के एक प्रमुख समाचार पत्र ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संबंध जोड़ने का निर्णय करने पर ब्रिटेन और अन्य देशों को सलाह देते हुए आज लिखा है कि उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए की पुनर्वास वर्ष 2002 के नरसंहार में आग में घी का काम करने वाले वर्चस्ववाद से प्रेरित राष्ट्रवाद जैसी चीजों के लिए लाइसेंस नहीं है।
अपने संपादकीय में कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए ‘द फाइनेंशियल टाइम्स’ ने कहा है कि इस वक्त (मोदी के साथ काम करने के ब्रिटेन के निर्णय) पर बड़ा सवालिया निशान है । यह ऐसे वक्त पर हुआ है जब दिसंबर में गुजरात में चुनाव होने वाले हैं और उनमें मोदी के जीत की संभावनाएं प्रबल हैं। अखबार ने लिखा है कि उनकी नई अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता से मोदी का बहुमत बढ़ सकता है। पहचान भारत में वर्ष 2014 में होने वाले आम चुनावों में भी उनकी संभावनाओं को बढ़ा सकता है, जहां उन्हें संभावित प्रधानमंत्री के रूप में देखा जा रहा है। इस संपादकीय का शीषर्क था ‘गुजरात का शर्म, पुनर्वास मोदी सरकार को दोष मुक्त नहीं करती’।
अखबार ने लिखा है कि मोदी, गुजरात के मुख्यमंत्री, भारत के सबसे सक्रिय और उद्योग-समर्थकों में से एक हैं। लेकिन 10 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनसे किनारा किया जा रहा है क्योंकि वह एक क्षेत्रीय सरकार के हिन्दू राष्ट्रवादी हैं जिसपर दंगों में लिप्त होने का आरोप है। इन दंगों में अनुमानत: 2,000 मुसलमान मारे गए थे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 17, 2012, 00:16