Last Updated: Sunday, July 1, 2012, 13:35

नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का मानना है कि राष्ट्रपति भवन में मौत की सजा से संबंधित लंबित कई मामले ‘विरासत में मिला काम’ होते हैं जिसपर कोई भी राष्ट्रपति खुशी महसूस नहीं करता।
जल्द ही जारी होने वाली किताब ‘टर्निंग प्वाइंट्स’ में अफजल गुरु और अजमल कसाब जैसे दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की मांग की पृष्ठभूमि को लेकर कलाम ने लिखा है, ‘मैंने सोचा कि मुझे इन सारे मामलों में मृत्युदंड पाए दोषियों के अपराध, अपराध की गंभीरता और सामाजिक, वित्तीय स्थिति के बारे में आम आदमी के नजरिए से विचार करना चाहिए।’
कलाम ने कहा है कि अध्ययन से जब यह पता चला तो वह अचंभित हो गए कि सभी लंबित मामलों में सामाजिक और आर्थिक पूर्वाग्रह का पहलू था, जिसके फलस्वरूप ‘हम उन व्यक्तियों को दंडित कर रहे थे जिनका दुश्मनी की घटना में सबसे कम लेना देना और शिरकत थी और जिनका अपराध में कोई सीधा हित भी नहीं था।’
कलाम के मुताबिक, राष्ट्रपति के तौर पर सभी तरह की अपील प्रक्रिया पूरी होने के बाद अदालत द्वारा दिए गए मृत्युदंड के निर्णय के बारे में कोई फैसला करना काफी कठिन था। उन्होंने लिखा है, ‘कई साल से अच्छी खासी संख्या में ऐसे मामले राष्ट्रपति भवन में लंबित हैं, यह विरासत में मिलने वाला ऐसा काम है कि जिस पर कोई भी राष्ट्रपति खुशी महसूस नहीं करता।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 1, 2012, 13:35