Last Updated: Thursday, September 19, 2013, 22:35
नई दिल्ली : सांसदों और विधायकों के दोषी साबित होने पर उनकी सदस्यता तत्काल समाप्त करने से छूट देने वाले कानून को उच्चतम न्यायालय द्वारा निरस्त किये जाने के बाद किसी जनप्रतिनिधि को दोषी करार दिये जाने के पहले मामले में एक विशेष सीबीआई अदालत ने आज राज्यसभा सदस्य रशीद मसूद को भ्रष्टाचार तथा अन्य अपराध के मामलों में दोषी ठहराया और अब उनकी राज्यसभा की सदस्यता जा सकती है।
1990 में वीपी सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे मसूद को केंद्रीय पूल से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए त्रिपुरा को आवंटित एमबीबीएस सीटों पर धोखाधड़ी से अपात्र उम्मीदवारों को नामित करने का दोषी ठहराया गया है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश जेपीएस मलिक ने मसूद को आईपीसी की धाराओं 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र), 420 (धोखाधड़ी) और 486 (जालसाजी) तथा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया। हालांकि उन्हें आईपीसी की धारा 471 के तहत लगे आरोपों से बरी कर दिया गया जो फर्जी दस्तावेज को वास्तविक के तौर पर इस्तेमाल करने से जुड़ी है।
उच्चतम न्यायालय ने गत 10 जुलाई को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 की उपधारा 4 को निरस्त कर दिया था जिसके बाद किसी जनप्रतिनिधि को दोषी ठहराये जाने का यह पहला मामला है। राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्य और पार्टी की कार्यसमिति के सदस्य मसूद को जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत अयोग्य करार दिया जा सकता है जो भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 समेत अनेक कानूनों के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराये गये किसी जन प्रतिनिधि को अयोग्य करार देता है। मसूद को सजा 1 अक्तूबर को सुनाई जाएगी। मसूद को जिन प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया गया है, उनमें सात साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 19, 2013, 22:35