राज्यसभा में लोकपाल बिल लटका - Zee News हिंदी

राज्यसभा में लोकपाल बिल लटका



 


नई दिल्ली : भारी हंगामे के बीच राज्यसभा की कार्यवाही को गुरुवार मध्यरात्रि में अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया तथा सदन में पूरे दिन लोकपाल विधेयक पर चर्चा होने के बावजूद इसे पारित नहीं किया जा सका। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह अल्पमत में आ गयी है और सदन से भाग रही है।

 

लोकपाल विधेयक को पारित किये जाने को टाले जाने के सरकार के प्रस्ताव और विपक्ष द्वारा इसका विरोध किये जाने के बीच सभापति हामिद अंसारी ने सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले कहा, एक अभूतपूर्व स्थिति पैदा हो गयी है। ऐसा प्रतीत होता है कि दोनों पक्ष एक दूसरे को शोर मचाकर चुप करा देना चाहते हैं।  अंसारी ने कहा कि उनके पास कोई अन्य विकल्प नहीं है। सदन में हो रहे हंगामे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो बेहतर होगा कि हम अपने घर चले जाएं।

 

इसके पूर्व विपक्ष के नेता अरूण जेटली ने कहा, सरकार सदन से भाग रही है क्योंकि वह बुरी तरह से अल्पमत में आ गयी है। उन्होंने कहा कि इस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है।
संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने इससे पूर्व लोकपाल विधेयक को चर्चा के लिए टालने का प्रस्ताव किया और कहा कि विधेयक पर 187 संशोधन आए हैं। सरकार को उसके अध्ययन के लिए समय चाहिए।

 

लोकपाल विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं होने पर भाजपा और वाम सदस्यों ने संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया।

 


सदन में हंगामा उसी समय शुरू हो गया था जब विधेयक पर चर्चा पूरी होने के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी ने जवाब देना शुरू किया। जवाब के दौरान ही राजद के राजनीति प्रसाद और रामकृपाल यादव ने विधेयक का विरोध करते हुए हंगामा किया। प्रसाद ने मंत्री के हाथ से कुछ कागज भी छीन लिया। हंगामे के कारण सभापति ने सदन की बैठक रात करीब साढ़े 11 बजे 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
बैठक शुरू होने के बाद बंसल ने कहा कि लोकसभा में लोकपाल विधेयक को मंगलवार को पारित किया था। कल हम चाहते थे कि उच्च सदन में इस पर चर्चा शुरू हो जाए लेकिन तकनीकी वजहों से यह चर्चा नहीं शुरू हो सकी।

 

इस पर जेटली ने कहा, हम रात भर सदन में बैठने और विधेयक को पारित करने के लिए तैयार हैं। सरकार की मजबूरी जताते हुए बंसल ने कहा कि इस विधेयक पर 187 संशोधन आए हैं। एक संशोधन तो आज शाम छह बजे आया है। इनमें से कई संशोधन परस्पर विरोधाभासी हैं। सरकार को उन संशोधनों के अध्ययन के लिए समय चाहिए। लिहाजा विधेयक पर चर्चा को टाल दिया जाए।

 

इस पर कुछ सदस्यों ने कहा कि सरकार यह बताए कि वह इस पर आगे कब पारित किया जाएगा।
बंसल ने कहा कि साल खत्म होने वाला है और संवैधानिक प्रक्रियाओं के तहत नए साल के पहले सत्र की शुरूआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से की जाती है। ऐसे में कोई तय समय बताना कठिन है।

 


बंसल के प्रस्ताव का विरोध करते हुए जेटली ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार बहुमत से चलती है। सरकार सदन से इसलिए भाग रही है क्योंकि वह बुरी तरह अल्मपत में आ गयी है। उन्होंने कहा कि सदन कैसे चले, यह तय करना सरकार का काम नहीं है। इसका कामकाज सदन की भावना से चलता है। उन्होंने कहा कि जब तक विधेयक पारित नहीं हो जाता, हम सदन में बैठने के लिए तैयार हैं।

 

जेटली ने कहा कि सरकार ने यह प्रस्ताव जानबूझकर दिया है। आज सदन में जो कुछ भी हुआ, सरकार ने उसकी पूरी पटकथा पहले से तैयार रखी थी। उन्होंने कहा कि यह अल्पमत सरकार की पटकथा थी और इस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।

 

जेटली का समर्थन करते हुए माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार आखिर क्या करना चाहती है, उसे स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार यह भी बताए कि वह इस विधेयक को पारित करवाने के लिए सदन में कब ला रही है। 

 


बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि सरकार ने विश्वास खोया ।

 

कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि लोकपाल विधेयक अब भी जीवित यह अगले सत्र में आएगा ।

 

चर्चा में भाग लेते हुए लोजपा के रामविलास पासवान ने इस विधेयक को बेकार बताते हुए कहा कि सरकार को यह विधेयक वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा लोकपाल में अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला एवं अल्पसंख्यक को आरक्षण देने के बारे में आश्वासन के बावजूद स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है। राजद के रामकृपाल यादव ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से कुछ मनोनीत व्यक्ति निर्वाचित सांसदों के खिलाफ जांच करेंगे और फैसला करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस विधेयक के जरिए लोकतंत्र को कमजेार करने का प्रयास किया जा रहा है।

 

चर्चा में कांग्रेस के रामचंद्र खूंटिया, प्रभा ठाकुर, निर्दलीय मोहम्मद अदीब, फारवर्ड ब्लाक के वरूण मुखर्जी, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, राजद के राजनीति प्रसाद ने भी भाग लिया।  (एजेंसी)






 


 



First Published: Friday, December 30, 2011, 14:53

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