Last Updated: Thursday, December 29, 2011, 12:40
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली : राज्यसभा में लोकपाल विधेयक को पारित कराने के प्रयासों के बीच सरकार महसूस कर रही है कि विधेयक यहां भी गिर जाएगा क्योंकि उसके पास अपेक्षित सदस्य संख्या नहीं है। एक मंत्री ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि हम यह विधेयक तभी पारित करा सकते हैं जब बसपा और सपा इसका समर्थन करे लेकिन जब हर कोई हमारे खिलाफ हो रहा है तो हम कर भी क्या सकते हैं। इस बीच, राज्य सभा में कुल 187 संशोधन प्रस्ताव पेश किए गए।लेकिन बीएसपी ने कोई संशोधन प्रस्ताव पेश नहीं किया।
लोकसभा में दो दिनों पहले पारित हो चुके लोकपाल विधेयक का भविष्य राज्यसभा में अब केंद्र सरकार के सहयोगी दलों पर निर्भर करेगा। सरकार हालांकि, उच्च सदन में विधेयक पारित कराने के लिए बहुमत का आंकड़ा जुटाने के वास्ते जी-तोड़ कोशिश कर रही है। जबकि विधेयक में संशोधन के लिए उसे 173 प्रस्ताव मिले। विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष आमने-सामने आ चुके हैं। सरकार विधेयक पारित कराने के लिए जहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, वहीं विपक्ष ने विधेयक को 'संवैधानिक रूप से कमजोर' बताया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा में सुबह पेश विधेयक में संशोधन के लिए 173 प्रस्ताव दिए गए हैं। विपक्षी दलों के अलावा तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने विधेयक में संशोधन प्रस्ताव दिए हैं। ज्ञात हो कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। तृणमूल कांग्रेस संप्रग का हिस्सा है जबकि सपा और राजद बाहर से सरकार का समर्थन करते हैं।
ज्ञात हो कि 243 सदस्यों वाले सदन में कांग्रेस और उसके सहयोगियों की संख्या 92 है, जबकि विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को 122 सदस्यों का समर्थन चाहिए। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक पारित करने में बसपा और सपा उसका सहयोग करेंगी।
एक अन्य मंत्री को विधेयक के समर्थन के लिए तृणमूल कांग्रेस को राजी करने में लगाया गया है, लेकिन देर शाम तक ममता बनर्जी अपने रुख पर अडिग हैं। तृणमूल के राज्यसभा में छह सांसद हैं और उसने ऐलान किया है कि वह विधेयक को लेकर अपने संशोधन पेश करेगी।
गौर हो कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। तृणमूल कांग्रेस संप्रग का हिस्सा है जबकि सपा और राजद बाहर से सरकार का समर्थन करते हैं। सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली बसपा ने कहा है कि वह मतविभाजन के समय विधेयक के बारे में अपने रुख पर फैसला करेगी। बसपा ने हालांकि, कहा है कि वह सदन से बहिर्गमन नहीं करेगी। बसपा नेताओं ने कहा कि सपा के सदस्यों ने उनसे कहा है कि उनकी पार्टी सरकार के खिलाफ मत विभाजन में हिस्सा ले सकती है और वह सदन से बहिर्गमन नहीं भी कर सकती है।
सूत्रों ने बताया कि तृणमूल जिसके सदन में छह सांसद हैं, यदि संशोधन के लिए दबाव बनाती है तो सरकार को विधेयक को पारित कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस यदि संशोधनों के लिए दबाव बनाती है तो सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि विधेयक पर उनकी पार्टी ने अंतिम फैसला नहीं किया है और वह मत विभाजन के समय अपना रुख साफ करेगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), बीजू जनता दल (बीजद) और शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों ने भी विधेयक में संशोधन के लिए प्रस्ताव दिए हैं।
लोकसभा में पारित हो चुके लोकपाल विधेयक पर गुरुवार को राज्यसभा में जारी चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष ने जमकर अपने-अपने तर्क पेश किए। विपक्ष ने विधेयक को 'संवैधानिक रूप से कमजोर' बताया। वहीं, सरकार ने मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह विधेयक को पारित न कराने के लिए बहाने बना रही है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने कहा कि विधेयक कमजोर है लेकिन सदन को एक प्रभावी लोकपाल विधेयक पारित किए बगैर अपने कदम पीछे नहीं खींचने चाहिए।
First Published: Friday, December 30, 2011, 00:34