Last Updated: Thursday, January 5, 2012, 11:44
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट
ने केंद्र को देश के दक्षिणी भाग के चारों ओर राम सेतु की बजाय धनुष्कोडी के जरिए एक वैकल्पिक मार्ग बनाने की संभावना पर प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को उसके सामने पेश करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एचएल दत्ता और सीके प्रसाद की पीठ ने सरकार को जाने माने पर्यावरणविद् आर के पचौरी की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को विभिन्न पार्टियों को भेजने को भी कहा है। अदालत ने रिपोर्ट पर विचार के लिए मामले को 23 मार्च तक के लिए मुल्तवी कर दिया।
प्रधानमंत्री ने जुलाई 2008 में पचौरी की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति का गठन 2240 करोड़ रुपये के विवादास्पद सेतु समुद्रम शिपिंग चैनल प्रोजेक्ट (एसएससीपी) के समाधान के लिए किया गया था। एसएससीपी में उथले सागर और ‘रामार सेतु’ और एडम्स ब्रिज के नाम से पहचाने जाने वाले द्वीपों की श्रृंखला के जरिए एक नौवहन मार्ग बनाकर भारत और श्रीलंका के बीच पाल्क खाड़ी और मन्नार की खाड़ी को जोड़ने का प्रस्ताव है। प्रोजेक्ट को 2005 में हरी झंडी दिखाई गई लेकिन बाद में राम सेतु के नष्ट होने के फैसले को लेकर इसका विरोध शुरु हो गया। माना जाता है कि इस सेतु को भगवान श्रीराम ने श्रीलंका पहुंचने के लिए बनाया था।
कई याचिकाओं में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इसका विरोध किया गया। इनमें से अधिकतर याचिकाओं को मद्रास उच्च न्यायालय से शीर्ष अदालत भेजा गया था। 21 अप्रैल 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने एसएससीपी पर अस्थायी रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि इसे राम सेतु की बजाय धनुष्कोडी से वैकल्पिक मार्ग की संभावना पर पर्यावरणीय लिहाज से ‘पूरे और विस्तृत’ विश्लेषण का इंतजार करना होगा।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, January 5, 2012, 18:14