Last Updated: Thursday, June 28, 2012, 16:58
नई दिल्ली: अपने कार्यकाल के दौरान 30 से अधिक दया याचिकाओं का निबटारा करने के बावजूद राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल के समक्ष अभी भी अभी भी दस दया याचिकायें लंबित हैं।
राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने दो जून को कर्नाटक के बंदू बाबूराव तिड़के की दया याचना स्वीकार करते हुए उसकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किया है। बंदू बाबूराव को 12 साल की बच्ची की हत्या के जुर्म में सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। उच्च न्यायालय ने इस सजा की पुष्टि कर दी थी। बाबूराव की दया याचिका 2007 से राष्ट्रपति के पास लंबित थी।
इससे पहले, राष्टूपति ने नाबालिग बच्ची से बलात्कार के बाद उसकी हत्या के जुर्म में मौत की सजा पाए उत्तर प्रदेश के सतीश, एक ही परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के जुर्म में उत्त्र प्रदेश के ही कुंवर बहादुर सिंह और करण बहादुर सिंह और एक ही परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के जुर्म में उत्त्राखंड के ओम प्रकाश की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील किया था। सतीश की दया याचिका 2007 से जबकि कुंवर बहादुर की 2005 से और ओम प्रकाश की दया याचिका 2003 से लंबित थी।
राष्ट्रपति ने उन्हें मिली याचिकाओं में से अभी तक सिर्फ तीन मामलों में ही मौत की सजा पाए मुजरिमों की दया याचिकायें ठुकराई हैं। इनमें युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मनिन्दरजीत सिंह बिट्टा पर हुए आतंकी हमले के दोषी देविन्दरपाल सिंह भुल्लर, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के जुर्म में दोषी संथन, मुरूगन और अरिवू तथा असम का महेन्द्र नाथ दास शामिल है।
राष्ट्रपति ने भुल्लर और महेन्द्र नाथ दास की दया याचिकायें पिछले साल मई के महीने में अस्वीकार की थीं जबकि संथन, मुरूगन और अरिवू की दया याचनाएं पिछले साल अगस्त में नामंजूर की गई।
देविन्दरपाल सिंह भुल्लर और राजीव गांधी के हत्यारों की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कराने का मामला इस समय उच्चतम न्यायालय में लंबित है।
भुल्लर और उसकी पत्नी ने दया याचिका के निबटारे में अत्यधिक विलंब के आधार पर उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 28, 2012, 16:58