राष्ट्रपति चुनाव: प्रणब के नामांकन पर संगमा ने उठाए सवाल

राष्ट्रपति चुनाव: प्रणब के नामांकन पर संगमा ने उठाए सवाल

राष्ट्रपति चुनाव: प्रणब के नामांकन पर संगमा ने उठाए सवालज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

नई दिल्ली: राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी के नामांकन पर भाजपा समर्थित उम्मीदवार एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने अब सवाल उठा दिए हैं। संगमा ने कथित तौर पर प्रणब मुखर्जी के लाभ के पद पर रहने के लिए राष्ट्रपति चुनाव में उनके नामांकन पर आपत्ति जताई। संगमा ने इस मामले में राज्यसभा सचिवालय में सोमवार को शिकायत दर्ज करवाई है।

संगमा ने प्रणब मुखर्जी की उम्मीदवारी पर आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि वह भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के अध्यक्ष हैं और उन्हें लाभ के पद के तहत चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए।

संगमा ने प्रणब पर लाभ के पद पर होने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि यूपीए के उम्मीदवार प्रणब अभी भी लाभ के पद पर हैं और भारतीय सांख्यिकी संस्थामन के चेयरमैन बने हुए हैं। संगमा ने इस चुनाव के निर्वाचन अधिकारी से आज मांग की कि संप्रग के प्रत्याशी प्रणब मुखर्जी का नामांकन रद्द किया जाना चाहिए, क्योंकि वह भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के अध्यक्ष की हैसियत से लाभ के पद पर आसीन हैं।

भाजपा, बीजद और अन्नाद्रमुक सहित कई विपक्षी दलों द्वारा समर्थित संगमा की ओर से उनके वकील सतपाल जैन ने राज्यसभा के महासचिव और राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन अधिकारी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई कि चूंकि मुखर्जी लाभ के पद पर आसीन हैं इसलिए उनका नामांकन पत्र रद्द किया जाना चाहिए।

जैन ने कहा कि मुखर्जी भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के अध्यक्ष हैं इसलिए वह लाभ के पद के नियमों के अनुसार राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।

राष्ट्रपति पद के चुनाव के नामांकन पत्रों की जांच का आज अंतिम दिन है। निर्वाचन अधिकारी ने इस शिकायत पर कल तक जवाब देने को कहा है। उम्मीदवारी वापस लेने का आखिरी दिन चार जुलाई है।

मुखर्जी इस स्थिति से कैसे निपटेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि चूंकि नामांकन पत्रों की जांच की समय सीमा अभी समाप्त नहीं हुई है, इसलिए भारतीय सांख्यिकीय संस्थान के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का अभी उनके पास मौका है।

वह ऐसे दूसरे बड़े नेता होंगे जो लाभ के पद के नियम के तहत किसी समस्या का सामना करेंगे। इससे पहले सोनिया गांधी को इस नियम के चलते 2006 में लोकसभा की सीट से इस्तीफा देना पड़ा था। उस समय संप्रग अध्यक्ष के राष्ट्रीय सलाहकार परिषद जैसे लाभ के पद पर रहने को लेकर आपत्ति उठाई गई थी। बाद में वह राय बरेली से दोबारा चुनाव जीत कर लोकसभा लौटीं।

बाद में लाभ के पद नियम में बदलाव करके राष्ट्रीय सलाहकार परिषद को उसकी परिधि से बाहर कर दिया गया और सोनिया मार्च 2010 में फिर से इसकी अध्यक्ष बन गईं।

संगमा की इस शिकायत के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्री पी. चिदंबरम और संसदीय कार्य मंत्री पीके बंसल ने कहा कि मामले को देखने के बाद वे बाद में बात करेंगे।

First Published: Monday, July 2, 2012, 16:38

comments powered by Disqus