राष्ट्रपति चुनाव: संगमा को जीत के लिए चमत्कार की उम्मीद

राष्ट्रपति चुनाव: संगमा को जीत के लिए चमत्कार की उम्मीद

राष्ट्रपति चुनाव: संगमा को जीत के लिए चमत्कार की उम्मीदनई दिल्ली : राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी के पक्ष में दिख रही स्पष्ट बढ़त के बीच विपक्षी उम्मीदवार पी ए एंगमा अब अपने को विजेता के रूप में देखने के लिए किसी ‘चमत्कार’ की उम्मीद कर रहे हैं।

जब संगमा से कहा गया कि 60 फीसदी से अधिक मतदाता पहले ही मुखर्जी के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त कर चुके हैं और ऐसे केवल चमत्कार से ही उनकी जीत सुनिश्चित हो सकती है, तब उन्होंने कहा, हां, चमत्कार इस दुनिया में ही हो सकते हैं और होते हैं। यह होता है और मैं चमत्कारों में विश्वास करता हूं। आप सही हैं। मैं अवश्य ही चमत्कार में विश्वास करता हूं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले ही उन्हें पराजित मान लेना ठीक नहीं है और दावा किया कि ईश्वर उनके साथ है।

उन्होंने एक टीवी कार्यक्रम में कहा, राजनीति तेजी से आगे बढ़ती है। यह राजनीति है। राजनीति में कुछ भी हो सकता है। चीजें हररोज बदलती हैं और अभी अभी आपने देखा भी। संगमा ने इस बात से इनकार किया कि भाजपा अन्य राजनीतिक दलों को अपने साथ लाने या नवीन पटनायक ओड़िशा में 25 फीसदी वोट अपनी पार्टी के पक्ष में करने के लिए उनका हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

आदिवासी नेता ने कहा, नहीं, बिल्कुल ऐसा नहीं है। हालांकि उन्होंने राय व्यक्त की कि यहां तक कि मीडिया भी किसी के हाथों में हथियार के रूप में खेल रही है। उन्होंने कहा, हम सभी हथियार हैं। आप किसी के लिए हथियार हैं। मैं किसी के लिए हथियार हूं। इन छोटी बातों को बीच में मत लाइए। भाजपा, अन्नाद्रमुक और बीजद का समर्थन हासिल करने वाले संगमा ने कहा कि उनकी उम्मीदवारी से इस देश में धर्मनिरपेक्षता का भला होगा।

उन्होंने अतीत के भाजपा और अन्नाद्रमुक के ईसाई विरोधी रूखों को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा, धार्मिक समस्याएं हर जगह हैं। उन्होंने ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों के उदाहरण दिए जहां केवल क्रमश: एंग्लिकन और गैर कैथोलिक ही प्रधानमंत्री बनाए जाते हैं।

जब संगमा का ध्यान इस बात की ओर दिलाया गया कि संघ को ओड़िशा में कंधमाल हिंसा और ग्राहम स्टेंस की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहाया गया और भाजपा उसी की विचारधारा को मानती है, उन्होंने कहा, क्षमादान ईसाई धर्म का सार है। बतौर ईसाई हम चीजों को मन में बिठाये नहीं रखते। ईसाई दुनिया में सबसे बड़ा धर्म है। हम यहां और वहां होने वाली छोटी मोटी घटनाओं से प्रभावित नहीं होते। ईसाई धर्म काफी उदार है।

उन्होंने कहा, कहां यह सबूत है कि भाजपा ने यह (कंधमाल हिंसा) किया। आप तुरंत निष्कर्ष पर मत पहुंचिए। ऐसे बेबुनियाद आरोप मत लगाइए। जब उनसे पूछा गया कि भाजपा और अन्नाद्रमुक का उनके प्रति समर्थन उन सिद्धांतों के लिए विरोधाभासी नहीं है, जिनपर वह कायम रहे, संगमा ने कहा, भारत एक बड़ा लोकतंत्र है। कांग्रेस सबसे बड़ा दल है। भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी है। इतने बड़े राजनीतिक दलों में छोटी मोटी घटनाएं होती रहती हैं और होती रहेंगी। आप उससे निर्णय नहीं निकाल सकते। उन्होंने कहा, मैं सिद्धांतों, लोकतंत्र के लिए, गरीब लोगों के कल्याण पर कायम हूं। मैं अपने विवेक में बिल्कुल स्पष्ट हूं।

संगमा ने इन खबरों को बकवास करार दिया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में राष्ट्रपति चुनाव लड़ना उनके लिए लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने इसका भी नकारात्मक जवाब दिया कि इस कदम से उनका राजनीतिक करियर खत्म हो जाएगा। उन्होंने कहा, राजनीतिक करियर का कोई अंत नहीं है। मैं बस 65 का हूं। मुझे चुनाव लड़ने के लिए किसी राजनीतिक दल से जुड़ने की जरूरत नहीं है। मेरा मार्जिन कभी नीचे नहीं जाता, यह हमेशा उपर जाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ना उनका जुनुन नहीं बल्कि अपनी बातों पर बल देना उनका अधिकार है।

उन्होंने कहा,मैं बस बतौर भारत के नागरिक, एक आदिवासी तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र के एक व्यक्ति अपने अधिकार पर बल दे रहा हूं। इन खबरों को कि ममता बनर्जी ने उन्हें मिलने का वक्त नहीं दिया, अटकलें करार देकर संगमा ने कहा, मैंने उनसे समय मांगा है। मैं जवाब का इंतजार कर रहा हूं। मुझे (समय) मिलेगा। अब भी समय है। अब करीब करीब एक महीना बाकी है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, June 24, 2012, 19:19

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