Last Updated: Saturday, May 26, 2012, 23:40
नई दिल्ली : लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष पीए संगमा ने शनिवार को कहा कि उन्होंने कभी स्वयं को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में प्रचारित नहीं किया, बल्कि यह सब `अचानक` हो गया। संगमा ने कहा, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता को छह जनजातीय उम्मीदवारों की सूची दी गई थी जिसमें से उन्होंने मेरे नाम का समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जनजाति वर्ग से हो, यह विचार उनके मन में तब आया जब कुछ जनजातीय लोगों ने उनसे सम्पर्क कर कहा कि उनके समुदाय की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता।
इंडियन वुमेंस प्रेस कोर्प्स (आईडब्ल्यूपीसी) की ओर से आयोजित बातचीत सत्र में संगमा ने कहा, मैंने उनसे कहा कि यदि एक अश्वेत व्हाइट हाउस पर कब्जा कर सकता है तो जनजाति वर्ग का एक व्यक्ति भारत का राष्ट्रपति क्यों नहीं बन सकता। मेरी यह बात हर अखबार में सुर्खियां बनी और इस पर काफी बहस हुई। जनजातीय मंच की एक बैठक के दौरान मैंने यह विचार रखा जिसका सभी ने समर्थन किया।
यह पूछने पर कि छह उम्मीदवारों की सूची में क्या जनजातीय मंच ने उनका नाम जोड़ा, इस पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता ने कहा, उस समय तक मेरा नाम नहीं सुझाया गया था। लेकिन जब मैं जनजातीय मंच के अध्यक्ष के साथ जयललिता से मिला तब उन्होंने कहा कि वह इस बात से सहमत हैं कि एक जनजातीय नेता होना चाहिए, लेकिन वह केवल मेरी उम्मदवारी का समर्थन करती हैं।
संगमा ने मुस्कराते हुए कहा, हम उनकी यह बात जनजातीय मंच में ले गए और सभी सदस्य मेरा नाम राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित करने पर सहमत हो गए। इसलिए मैं राष्ट्रपति पद का एक अचानक उम्मीदवार हूं।
संगमा के अनुसार, देश के इस शीर्ष पद के लिए अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए न तो कांग्रेस और न ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास जरूरी संख्या है। इसलिए तीसरा मोर्चा, जैसे समाजवादी पार्टी (सपा), बीजू जनता दल (बीजद), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और एआईएडीएमके (ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) इसमें अहम भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों से सम्पर्क करने के अलावा वह व्यक्तिगत तौर भी संसद सदस्यों से मिल रहे हैं। संगमा ने कहा, अनुदेश जारी किए जाने के बजाय यदि गुप्त मतदान के जरिए राष्ट्रपति चुनाव होता तो शायद ज्यादा बेहतर रहता। इससे किसी को पता नहीं चल पाता कि किसने किसको मत दिया।
संगमा ने पूर्वोत्तर की एक साप्ताहिक पत्रिका के लिए पत्रकारिता शुरू की है। उन्होंने कहा, हमें देखना है कि परिस्थितियां क्या मोड़ लेती हैं। फिलहाल पार्टियों में इस मुद्दे पर विमर्श चल रहा है और चुनाव होने में अभी थोड़ा वक्त है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 26, 2012, 23:40