Last Updated: Friday, March 15, 2013, 21:44
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की भोपाल, पुणे और कोलकाता पीठ में काम शुरू करने के लिए 30 अप्रैल तक का समय दिया है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि ऐसा करने में विफल रहने पर इन राज्यों के संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप में हाजिर होना पड़ेगा।
इससे पहले, न्यायालय को सूचित किया गया कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में प्रशासन इन पीठ को 31 जनवरी तक काम करने योग्य बनाने में विफल रहा है। इस पर न्यायालय ने अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक बढ़ाने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल सरकार को प्रदेश की राजधानियों में हरित न्यायाधिकरण की पीठ में काम शुरू करने संबंधी 6 दिसंबर, 2012 के आदेश पर अमल नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त की। न्यायालय ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पी पी मल्होत्रा से कहा कि वह इन राज्यों के मुख्य सचिवों और दूसरे अधिकारियों के संपर्क में रहें ताकि हरित न्यायाधिकरण को क्रियाशील बनाया जा सके।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की पीठ स्थापित करने में ढुलमुल रवैये से नाराज न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि एक अवसर पर तो उसे लगा कि इन राज्यों के अधिकारियों को तलब करना जरूरी है। न्यायाधीशों ने कहा कि फिलहाल वे ऐसा नहीं कर रहे हैं और चूंकि अतिरिक्त सालिसीटर जनरल से इन अधिकारियों के संपर्क में रहने का अनुरोध किया गया है, इसलिए न्यायाधिकरण की भोपाल, पुणे और कोलकाता में पीठ का कामकाज शुरू करने के लिये वे व्यक्तिगत रूप से
जिम्मेदार होंगे। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 15, 2013, 21:44