Last Updated: Saturday, June 23, 2012, 11:40

रियो डि जेनेरियो : रियो प्लस 20 की शिखरवार्ता के घोषणापत्र में भारत की चिंताएं झलकती हैं, जिसमें कहा गया है कि विकासशील देशों को सतत विकास के लिए और संसाधनों की जरूरत है तथा आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए) एवं वित्त व्यवस्था पर अवांछित शर्तों से बचना चाहिए।
‘सतत विकास पर संयुक्त राष्ट्र के अधिवेशन’ नाम से आयोजित शिखरवार्ता के समापन पर पारित 55 पन्नों के घोषणा पत्र में कहा गया है, ‘हम इस बात को दोहराते हैं कि विकासशील देशों को सतत विकास के लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत है।’ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शिखरवार्ता में अपने संबोधन में कहा, ‘अगर अतिरिक्त धन और तकनीक उपलब्ध हुई तो कई देश और अधिक काम कर सकते हैं। दुर्भाग्य से इन क्षेत्रों (उत्सर्जन की तीव्रता कम करने वाले क्षेत्रों) में औद्योगिक देशों से समर्थन बहुत कम दिखाई देता है। उस पर जारी आर्थिक संकट ने मामलों को बदतर कर दिया है।’ दुनिया के 125 नेताओं ने शिखरवार्ता में भाग लिया।
आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और पर्यावरण स्थिरता को सतत विकास के लिहाज से समान रूप से महत्वपूर्ण घटक बताते हुए सिंह ने कहा कि वैश्विक समुदाय के सामने इस संरचना को ऐसा व्यावहारिक स्वरूप देने की जिम्मेदारी है ताकि प्रत्येक देश अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप विकास करे।
दुनिया के नेताओं ने अपनी घोषणा में कहा कि वे सभी देशों के लिए, खासकर विकासशील देशों के लिए सतत विकास के लिहाज से सभी संसाधनों से बढ़ते वित्तीय सहयोग के महत्व को रेखांकित करते हैं। शिखरवार्ता में सभी देशों से यह आह्वान भी किया गया कि राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुरूप संसाधनों के आवंटन में सतत विकास को तरजीह दें। (एजेंसी)
First Published: Saturday, June 23, 2012, 11:40