रेपिस्ट को फांसी माफ करने की सिफारिश कभी नहीं : शिंदे

रेपिस्ट को फांसी माफ करने की सिफारिश कभी नहीं : शिंदे

रेपिस्ट को फांसी माफ करने की सिफारिश कभी नहीं : शिंदेनई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे ने कहा है कि अगर अदालत बलात्कारियों को मौत की सजा देती है तो उसे माफ करने की सिफारिश वह राष्ट्रपति से कभी भी नहीं करेंगे।

शिंदे से एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में जब सवाल किया गया कि क्या वह बलात्कारियों की मौत की सजा माफ करने की सिफारिश राष्ट्रपति से करेंगे। उनका जवाब था, ‘जब तक मैं इस कुर्सी पर (गृह मंत्री पद पर) हूं, मैं राष्ट्रपति से कभी भी ऐसी सिफारिश नहीं करूंगा।’ उन्होंने कहा कि बलात्कार के सभी मामलों को दुर्लभ से दुर्लभतम नहीं माना जा सकता, लेकिन 16 दिसंबर की रात 23 साल की युवती के साथ हुई सामूहिक बलात्कार की घटना दुर्लभ से दुर्लभतम मामला माना जा सकता है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा मौत की सजा को कम करने के पूर्व के मामलों पर शिंदे ने कहा कि वह उन मामलों के बारे में नहीं जानते। कम से कम उनके कार्यकाल के दौरान ऐसा नहीं हुआ है। केवल एक मौत की सजा, जिसकी मैंने सिफारिश की थी (अजमल कसाब), सबको पता है। यहां तक कि वाशिंगटन पोस्ट ने भी इसको सराहा है। प्रतिभा पाटिल ने केन्द्र की सिफारिश पर 35 दोषियों की मौत की सजा कम कर दी थी। इनमें सात बलात्कारी भी शामिल थे।

उत्तर प्रदेश के बंटू की मौत की सजा को भी पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने माफ कर दिया था। उसने 2003 में आगरा में पांच साल की बच्ची से बलात्कार किया था। अस्पताल ले जाते समय बच्ची ने दम तोड़ दिया था। प्रतिभा पाटिल ने जून 2012 में बंटू की दया याचिका को स्वीकार कर लिया। उत्तर प्रदेश के ही सतीश की सजा-ए-मौत को मई 2012 में प्रतिभा पाटिल ने माफ कर दिया। सतीश ने मेरठ में छह साल की बच्ची के साथ बलात्कार किया था।

तमिलनाडु के गोपी और मोहन तथा मध्य प्रदेश के मोलई राम और संतोष की दया याचिकाओं को भी प्रतिभा पाटिल ने स्वीकारा था। चारों को बच्चियों से बलात्कार और हत्या के जुर्म में अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। (एजेंसी)

First Published: Saturday, January 12, 2013, 17:30

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