लेख पर भिड़े जेटली-काटजू, एक-दूसरे का इस्तीफा मांगा, Katju, Jaitley in war of words over Modi, ask each other to quit

लेख पर भिड़े जेटली-काटजू, एक-दूसरे का इस्तीफा मांगा

लेख पर भिड़े जेटली-काटजू, एक-दूसरे का इस्तीफा मांगानई दिल्ली : मार्कण्डय काटजू के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी से संबंधित आलोचलात्मक लेख पर रविवार को भाजपा नेता अरुण जेटली और काटजू में जुबानी जंग शुरू हो गई और जेटली ने भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष पर कांग्रेसियों से अधिक कांग्रेसी होने का आरोप लगाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की।

उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश काटजू ने इसके जवाब में उनपर (जेटली) तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाया और राजनीति छोड़ने को कहा।

जेटली ने अपने बयान में कहा कि एक समाचारपत्र में काटजू का लेख व्यक्तिगत प्रहार लग रहा है और आश्चर्य जताया कि क्या उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश उन लोगों का पक्ष रखने का प्रयास कर रहे हैं जिन्हें गोधरा ट्रेन जलाये जाने की घटना में दोषी करार दिया गया।

काटजू ने कहा था कि गोधरा में क्या हुआ, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है और उनके लिए यह मानना कठिन है कि 2002 में मोदी का कोई हाथ नहीं था। वह गुजरात दंगों का हवाला दे रहे थे।

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष की ओर से मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नितिश कुमार की आलोचना का हवाला देते हुए जेटली ने आरोप लगाया, ‘गैर कांग्रेसी सरकारों पर उनका हमला, चाहे पश्चिम बंगाल, बिहार या गुजरात हो, काफी हद तक उन्हें सेवानिवृति के बाद यह पद देने के एवज में धन्यवाद देने की प्रकृति का लगता है।’जेटली ने काटजू की उस टिप्पणी पर गहरी आपत्ति व्यक्त की कि देश को वहीं गलती नहीं दोहरानी चाहिए जैसा जर्मनी ने 1933 में किया था।

उन्होंने आरोप लगाया,‘मैं न्यायमूर्ति काटजू के राजनीतिक विचारों को व्यक्त करने के अधिकार को मानता हूं लेकिन क्या अर्ध न्यायिक पद पर काबिज होने वाले किसी व्यक्ति के खुले तौर पर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकता है। उनकी अपील राजनीतिक है।’

भाजपा नेता ने कहा,‘वह कांग्रेसियों से भी अधिक कांग्रेस प्रतीत होते हैं।’ काटजू ने जेटली पर तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कांग्रेस शासित महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को फेसबुक पोस्ट मामले में दो लड़कियों को गिरफ्तार किये जाने के मुद्दे पर सख्त लहजे का पत्र लिखा था।

काटजू ने कहा कि उन्होंने मीडियाकर्मियों को कैमरा तोड़ने की धमकी देने पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खिलाफ सख्त लहजे का पत्र लिखा था।

उन्होंने कहा,‘जेटली स्पष्ट तौर पर तथ्यों को तोड मरोड़ कर पेश करने के दोषी है। उन्होंने बिहार सरकार के खिलाफ प्रेस की आजादी का दमन करने से संबंधित बिहार सरकार के खिलाफ मेरे रिपोर्ट की आलोचना की। यह मेरी रिपोर्ट नहीं बल्कि तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट थी और जेटली ने इसमें भी तथ्यों तोड़-मरोड़ कर पेश किया।’

भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष ने कहा,‘मेरा श्री अरूण जेटली से अनुरोध है कि वह राजनीति छोड़ दें और संन्यास ले लें और वे काफी खुश रहेंगे। कम से कम वह तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश नहीं करेंगे।’

बिहार और गुजरात सरकार के खिलाफ काटजू की टिप्पणी का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि उन्होंने काटजू की कोई टिप्पणी नहीं पढ़ी जिसमें नेतृत्व सृजन के वाहन के रूप में वंशवाद पर मेधा को तरजीह दिया गया हो।

जेटली ने आरोप लगाया,‘जब टू जी स्पेक्ट्रम आबंटन से ले कर कोयला ब्लाक आबंटन तक के संप्रग के भ्रष्टाचार पर टिप्पणी करनी होती है तो न्यायमूति काटजू के अंदर का योद्धा खुद पर आत्म-सेंसरशिप लगाता है।’ उन्होंने प्रश्न किया कि क्या अर्ध न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति को राजनीति में सक्रियता से हिस्सा लेने से पहले इस्तीफा नहीं देना चाहिए या उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।’

सेवानिवृति के बाद पद दिये जाने से संबंधित जेटली की टिप्पणी पर काटजू ने कहा कि चलन के तहत ही भारतीय प्रेस परिषद का पद उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश को दिया जाता है।

काटजू ने कहा, ‘जेटली यह बात क्यों भूलते हैं कि जब वह विधि मंत्री थे तब राजग ने सेवानिवृति बाद नियुक्तियां की थीं।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, February 17, 2013, 19:11

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