ले. जनरल सीबीआई जांच के घेरे में - Zee News हिंदी

ले. जनरल सीबीआई जांच के घेरे में

 

नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह द्वारा पत्र लिखकर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा पहल करने के बीच रक्षा मंत्री एके एंटनी ने गुरुवार को खुलासा किया कि उक्त अधिकारी के पदोन्नति की सिफारिश की गई है। मंत्री ने हालांकि कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि सेना प्रमुख ने ले. जनरल के खिलाफ भ्रष्टाचार की तृणमूल कांग्रेस की किसी शिकायत का मामला सीबीआई के हवाले किया है।

 

उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले एक बैठक के दौरान सेना प्रमुख ने मुझे ले. जनरल के बारे में बताया था। मैंने तत्काल उनसे कहा था कि अगर कोई शिकायत है तो उस पर उन्हें जरूर कार्रवाई करनी चाहिए। एंटनी ने कहा कि लेकिन हाल में, सेना मुख्यालय ने उन्हें एक सेक्टर के सैन्य कमांडर के तौर पर भेजने का प्रस्ताव भेजा है। मेरा मानना है कि उन्हें सैन्य कमांडर बनाने का प्रस्ताव 22 मार्च का है। रक्षा सचिव ने इसे मंजूरी दी और जब आज मैंने अपने कार्यालय में इसे देखा तो यह लंबित पड़ा है । यही मेरी जानकारी है। अन्य चीजों (सीबीआई जांच) के बारे में मैं नहीं जानता। सरकार और सेनाध्यक्ष के बीच चल रही खींचतान के बीच आज मीडिया में ले जनरल सुहाग का यह मामला आया है।

 

इस बीच सीबीआई सूत्रों ने कहा कि एजेंसी को तृणमूल सांसद अंबिका बनर्जी की शिकायत के साथ जनरल सिंह का पत्र मिला है। उन्होंने बताया कि एजेंसी कैबिनेट सचिवालय और रक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर विशेष सीमांत बल (एसएफएफ) के लिए खरीदे गए उपकरणों का रिकार्ड मांग सकती है।

 

सूत्रों ने बताया कि बनर्जी ने पिछले साल मई महीने में रक्षामंत्री को पत्र लिखा था। जनरल सुहाग दीमापुर स्थित तीसरी कोर के कमांडर हैं और वह सेना प्रमुख :लेफ्टिनेंट जनरल विक्रम सिंह के बाद: का पद संभालने वाले संभावित अधिकारियों की कतार में हैं। उन्होंने बताया कि जनरल सिंह ने अब सीबीआई से अनुरोध किया है कि वे विशेष सीमांत बल (एसएफएफ) के लिए साजो सामान की खरीद के सौदे में हुए भ्रष्टाचार के बारे में सांसद द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करे। उस सौदे के दौरान जनरल सुहाग महानिदेशक थे। यह बल भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनलसिस विंग (रॉ) के साथ काम करता है।

 

सूत्रों के मुताबिक बनर्जी ने आरोप लगाया है कि इस गुप्त बल के लिये जरूरी सामान खरीद के सौदे में दलाली दी गई। इस साजो सामान में रात में देखने वाले उपकरण से लेकर पैराशूट तक शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि सांसद ने कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों का नाम लिया था जिन्हें कथित रूप से इन सौदों में दलाली मिली थी। एसएफएफ को इस्टेब्लिशमेंट-22 के नाम से भी जाना जाता है। यह एक खुफिया बल है और इसका गठन 1962 के बाद किया गया था। यह रॉ के अंतर्गत काम करता है जो कैबिनेट सचिवालय के नियंत्रण में आता है।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, March 29, 2012, 20:51

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