‘लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार होने पर फैलेगी अव्यवस्था’

‘लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार होने पर फैलेगी अव्यवस्था’

‘लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार होने पर फैलेगी अव्यवस्था’
नई दिल्ली : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को आगाह किया कि यदि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार हुआ तो देश में अव्यवस्था फैल जाएगी। अन्ना हजारे और रामदेव के भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का सीधा उल्लेख किए बिना राष्ट्रपति ने संसद जैसी संस्थाओं को कमतर आंकने के खतरों को रेखांकित किया।

देश के 66वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में मुखर्जी ने कहा कि भ्रष्टाचार की महामारी के खिलाफ गुस्सा और आंदोलन जायज है क्योंकि यह महामारी हमारे देश की क्षमता का ह्रास कर रही है। उन्होंने कहा कि कभी कभार जनता अपना धैर्य खो देती है, लेकिन इसे हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर प्रहार का बहाना नहीं बनाया जा सकता। राष्ट्रपति ने कहा कि ये संस्थाएं संविधान के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं और यदि इन स्तंभों में दरार आई तो संविधान का आदर्शवाद नहीं रह सकता।

उन्होंने कहा कि सिद्धांतों और जनता के बीच ये संस्थाएं ‘ मिलन बिंदु ’ का काम करती हैं। हो सकता है कि हमारी संस्थाएं समय की सुस्ती का शिकार हों लेकिन इसका जवाब यह नहीं है कि जो निर्मित किया गया है, उसे ध्वस्त किया जाए। बल्कि करना यह चाहिए कि उन्हें फिर से तैयार किया जाए ताकि वे पहले के मुकाबले अधिक मजबूत बन सकें । संस्थाएं हमारी आजादी की अभिभावक हैं ।

मुखर्जी ने कहा कि विधायिका से कानून बनाने का काम नहीं छीना जा सकता। जनता को अपना असंतोष व्यक्त करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब अधिकारी सत्तावादी बन जाए तो लोकतंत्र पर असर होता है लेकिन जब बात बात पर आंदोलन होने लगें तो अव्यवस्था फैलती है। राष्ट्रपति ने कहा कि लोकतंत्र साझा प्रक्रिया है। हम साथ साथ ही जीतते या हारते हैं। लोकतांत्रिक प्रकृति के लिए व्यवहार की मर्यादा और विरोधाभासी नजरियों को बर्दाश्त करना आना चाहिए।

संसद अपने कैलेंडर और लय से चलेगी। उन्होंने कहा कि कभी कभार यह लय बिना तान की लग सकती है लेकिन लोकतंत्र में हमेशा फैसले का दिन आता है और वह होता है चुनाव। संसद जनता और भारत की आत्मा है। हम इसके अधिकारों और कर्तव्यों को अपने जोखिम पर चुनौती देते हैं। मुखर्जी ने कहा कि वह उपदेश देने की भावना से यह बात नहीं कह रहे हैं बल्कि वह उन अस्तित्वपरक मुद्दों की बेहतर समझ की अपील कर रहे हैं, जो सांसारिक मुखौटे के पीछे छिपे रहते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को जवाबदेही की महान संस्था स्वतंत्र चुनावों के जरिए शिकायतों के समाधान के लिए बेहतरीन अवसर का वरदान प्राप्त है।

हिंसाग्रस्त असम में लोगों के जख्मों पर मरहम रखने की प्रक्रिया शुरू करने पर जोर देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि ऐतिहासिक असम समझौते पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है और इसे न्याय एवं राष्ट्रहित की भावना से मौजूदा परिस्थितियों के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।

लंदन ओलंपिक में भारत के रिकार्ड प्रदर्शन के लिए खिलाडियों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज उम्मीद जताई कि रियो डि जेनरो में होने वाले अगले ओलंपिक में देश के खिलाड़ी और अधिक पदक जीतेंगे। मुखर्जी ने कहा कि जिन लोगों ने हाल ही में संपन्न खेलों में जीतकर और हिस्सा लेकर देश का मान बढाया है, मैं उन्हें बधाई देता हूं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 20:22

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