लोकपाल: आम सहमति की कवायद शुरू - Zee News हिंदी

लोकपाल: आम सहमति की कवायद शुरू



नई दिल्ली : राज्यसभा में पेश करने से पहले लोकपाल विधेयक पर आम सहमति बनाने के इरादे से सरकार ने गुरुवार को विपक्ष और अन्य पार्टियों से विचार विमर्श किया ताकि मतभेद दूर हो सकें और विधेयक आसानी से पारित हो सके। केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, पवन कुमार बंसल और वी. नारायणसामी ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली से संसद परिसर में मुलाकात कर विधेयक पर चर्चा की।

 

भाजपा दो मुद्दों पर अड़ी हुई है। उसका कहना है कि लोकपाल की नियुक्ति और उसे हटाने की प्रक्रिया अधिक लोकतांत्रिक होनी चाहिए और सीबीआई को सरकारी नियंत्रण से बाहर रखा जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि सरकार शायद इस बात को मान लेगी कि राज्य लोकायुक्त को लोकपाल विधेयक के दायरे से बाहर रखा जाए और संसद एक माडल कानून पारित करेगी जो राज्यों को अपने लोकायुक्त खुद बनाने का अधिकार देगा। विपक्ष के शासन वाले राज्य और पश्चिम बंगाल विधेयक में लोकायुक्त के प्रावधान के खिलाफ हैं। तृणमूल कांग्रेस संप्रग का प्रमुख घटक दल है और पश्चिम बंगाल में सत्ता में है। केंद्रीय मंत्रियों के माकपा नेता सीताराम येचुरी और अन्य दलों के नेताओं से भी मुलाकात कर उनकी राय जानने की उम्मीद है।

 

लोकपाल की नियुक्ति और उसे हटाने तथा सीबीआई को सरकार के नियंत्रण से बाहर रखने के अलावा वाम दल चाहते हैं कि विदेश से वित्तपोषण पा रहे गैर सरकारी संगठनों को लोकपाल के दायरे में लाया जाना चाहिए। कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि हम विधेयक को राज्यसभा में तभी पेश करना चाहेंगे, जब आम सहमति होगी। यदि विधेयक पेश होता है और उसके बाद सदन में आम सहमति की कोशिश होती है तो इससे कुछ दिक्कतें पेश आ सकती हैं।

 

राज्यों में लोकायुक्त नियुक्त किये जाने के बारे में अन्ना हजारे की मांग पर खुर्शीद ने कहा कि दिल्ली में हजारे के समर्थक सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह लोकायुक्त को लोकपाल विधेयक के दायरे से बाहर करना चाहती है। विधेयक को लेकर मतभेद दूर करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 23 मार्च को सर्वदलीय बैठक की थी लेकिन बैठक में आम सहमति नहीं बन पाई।
विधेयक को पिछले साल शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में पारित नहीं किया जा सका था। लोकसभा उसी सत्र में उसे पारित कर चुकी थी।
सूत्रों के अनुसार, सरकार तृणमूल कांग्रेस जैसे घटक दलों के साथ ही विपक्षी दलों को मनाने के लिए लोकपाल विधेयक में से राज्यों में लोकायुक्तों के गठन के प्रावधान को हटा सकती है। ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि घटक दलों और विपक्ष की मांग पर झुकते हुए सरकार राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति संबंधी प्रावधान को राज्यसभा में विधेयक को लाने से पूर्व हटा सकती है।

 

हालांकि एक मंत्री ने कल बताया था कि मतभेदों को दूर करने के लिए राजनीतिक दलों से अभी भी बातचीत जारी है। सूत्रों ने बताया कि बहुप्रतीक्षित विधेयक में तीन-चार अड़चनें हैं। इस विधेयक का मकसद भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी तंत्र की स्थापना करना है तथा सरकार इन अड़चनों पर आम राय बनाने का प्रयास कर रही है। जारीराज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की अन्ना हजारे की मांग पर खुर्शीद ने कहा कि हजारे कहते हैं कि राज्यों में लोकायुक्त होना चाहिए लेकिन दिल्ली में उनके समर्थक सरकार से कुछ और ही चाहते हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने विधेयक के संबंध में मुद्दों को सुलझाने के लिए 23 मार्च को एक सर्वदलीय बैठक बुलायी थी। बैठक में कोई आम राय नहीं बन पाई लेकिन यह फैसला किया गया कि दल विधेयक पर बातचीत जारी रखेंगे।

(एजेंसी)

First Published: Thursday, May 10, 2012, 21:40

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