Last Updated: Wednesday, December 28, 2011, 04:00
नई दिल्ली : लोकपाल पर संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में मंजूर नहीं होने पर भाजपा ने नैतिकता के आधार पर यूपीए सरकार के इस्तीफे की मांग की। जब लोकसभा में यह प्रस्ताव गिरा तो सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने इसे लोकतंत्र के लिए दुखद दिन बताया। कार्मिक मंत्री नारायण सामी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि बीजेपी का आज पर्दाफाश हो गया है।
मंगलवार देर रात भाजपा के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने सरकार की किरकिरी करने वाले इस घटनाक्रम के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए। प्रधानमंत्री को पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक के समर्थन में 273 सदस्यों का साधारण बहुमत नहीं जुटा सकी और उसके पक्ष में केवल 250 सदस्यों ने ही मतदान किया।
सिन्हा ने कहा, ‘राहुल गांधी का सपना चकनाचूर हो गया है। यह सरकार की घोर अक्षमता को प्रदर्शित करता है। मैंने अपने भाषण में कहा था कि प्रधानमंत्री ऐसे बोल रहे थे जैसे की वह विदाई भाषण दे रहे हों। अगर उनमें कोई नैतिकता बची है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।’
विधेयक के मंजूर नहीं होने के लिए सदन के नेता और वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को आड़े हाथों लेते हुए सिन्हा ने कहा कि वह राजनीति कर रहे थे। भाकपा नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि सरकार को आईने में देखना चाहिए कि वह संविधान संशोधन विधेयक पर जरूरी संख्या नहीं जुटा सकी। उन्होंने कहा कि लोकपाल अब लोकपाल नहीं रह गया है बल्कि यह उसका हास्य चित्र (कैरिकेचर) मात्र है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 28, 2011, 13:39